हरिद्वार, 01 मार्च। अघोषित डम्पिंग जोन के कारण क्षेत्रवासियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बड़ी मात्रा में कूड़ा-करकट भगत सिंह चौक शहरी मार्ग पर लगाया जा रहा है। गंदगी के कारण टिबड़ी, शिवलोक, भगत सिंह चौक, मध्य हरिद्वार व भेल नागरिकों को सड़न, बदबू का सामना करना पड़ रहा है। शहरी क्षेत्र में अघोषित डम्पिंग जोन होने के कारण टिबड़ी व शिवलोक क्षेत्र के निवासी बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि एकत्र कूड़े से सड़न, बदबू घरों तक पहुंच रही है जिसकी वजह से घरों में रहना भी मुश्किल हो गया है। अनूप सिंह सिद्धू का कहना है कि भगत सिंह चौक मार्ग के समीप भारी मात्रा में कूड़ा एकत्र किया जा रहा है। शहरी क्षेत्र में अघोषित डम्पिंग जोन बनाया दिया गया इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
नगर निगम के अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। कूड़े-करकट के कारण दर्जनों आवारा पशु कूड़े के आस-पास जमा हो जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। संक्रामक रोग फैलने की संभावना बनी हुई है। टिबड़ी, शिवलोक, भगत सिंह चौक, चन्द्रचार्य चौक के व्यापारियों को भी असुविधाएं झेलनी पड़ रही है। हवा के साथ सड़न, बदबू इस ओर भी फैल रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। स्वाइन फ्लू फैलने की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। शहर के बीचो बीच भारी मात्रा में अघोषित डम्पिंग जोन बनाये जाने के कारण हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं। अनूप सिंह सिद्धू ने कहा कि तत्काल नगर निगम के अधिकारियों व स्वास्थ्य विभाग की टीम को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। संक्रामक रोग फैलने की पूरी संभावनाएं बनी हुई है।
चन्द्राचार्य चौक व्यापार मण्डल के अध्यक्ष मृदुल कौशिक का कहना है कि शहर के बीचो बीच अघोषित डम्पिंग जोन बना दिया गया है। अधिकारियों के लापरवाही पूरी तरह से नजर आ रही है। आवारा पशु कूड़े में रात-दिन मुंह मारते रहते हैं। आस-पास के नागरिक नरकीय जीवन जीने को मजबूर है। घरों में रहना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि अघोषित डम्पिंग जोन को जल्द से जल्द जनहित में हटाया जाये वरना क्षेत्रवासी आन्दोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा क्षेत्रवासियों को झेलना पड़ रहा है। महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग परेशान हैं। सड़क से राहगीरों का निकलना भी मुश्किल हो गया है।