अमरीश/कमल खडका
हरिद्वार, 10 जुलाई। भारत विकास परिषद का स्थापना दिवस पंचपुरी शाखा द्वारा गोविंदपुरी रानीपुर मोड़ पार्क में वृक्षारोपण करके मनाया गया। इस अवसर पर प्रांतीय उपाध्यक्ष बृजप्रकाश गुप्ता ने कहा कि वृक्षारोपण से ही पृथ्वी पर सुखचैन है। मानव सभ्यता के उदय के समय में वह वनों में वृक्षों पर या उनसे ढकी कन्दराओं में ही रहा करता था। मानव वृक्षों से प्राप्त फल-फूल आदि खाकर या उसकी डालियों को हथियार के रूप में प्रयोग करके पशुओं को मारकर अपना पेट भरा करता था।
वृक्षों की छाल को वस्त्रों के रूप में प्रयोग करता था। यहाँ तक कि ग्रन्थ आदि लिखने के लिए वृक्ष के पत्तों का प्रयोग किया जाता था। वृक्ष वातावरण को शुद्ध व स्वच्छ बनाते है। इनकी जड़ें भूमि के कटाव को रोकती है। वृक्षों के पत्ते भूमि पर गिरकर सड़ जाते हैं तथा मिट्टी में मिलकर खाद बन जाते है और भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते है। प्रांतीय कोषाध्यक्ष जेके मोंगा ने कहा कि आजकल नगरों तथा महानगरों में छोटे-बड़े उद्योग धंधों की बाढ़ से आती जा रही है। इनसे धुआं, तरह-तरह के विषैली गैसें आदि निकलकर वायुमंडल में फैल कर पर्यावरण में भर जाती है।
पेड़ पौधे इन विषैली गैसों को वायुमंडल में फैलने से रोक कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकते हैं। हमारी यह धरती प्रदूषण रहित रहे तथा इस पर निवास करने वाला मानव सुखी व स्वस्थ बना रहे तो हमें पेड़-पौधों की रक्षा तथा उनके नवरोपण की ओर ध्यान देना चाहिए। भारत विकास परिषद पंचपुरी शाखा के सचिव डा.ऊधम सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति एवं सभ्यता वनों में ही पल्लवित तथा विकसित हुई है। यह एक तरह से मानव का जीवन सहचर है। वृक्षारोपण से प्रकृति का संतुलन बना रहता है। वृक्ष अगर ना हो तो सरोवर ना ही जल से भरी रहेंगी और ना ही सरिता ही कल कल ध्वनि से प्रभावित होंगी।
वृक्षों की जड़ों से वर्षा ऋतु का जल धरती के अंक में पहुंचता है। यही जल स्त्रोतों में गमन करके हमें अपार जल राशि प्रदान करता है। वृक्षारोपण मानव समाज का सांस्कृतिक दायित्व भी है। क्योंकि वृक्षारोपण हमारे जीवन को सुखी संतुलित बनाए रखता है। वृक्षारोपण हमारे जीवन में राहत और सुखचैन प्रदान करता है। रश्मि मोंगा ने कहा कि देश में जहां वृक्षारोपण का कार्य होता है वही इन्हें पूजा भी जाता है। कई ऐसे वृक्ष है, जिन्हें हमारे हिंदू धर्म में ईश्वर का निवास स्थान माना जाता है।
पंचपुरी शाखा के कोषाध्यक्ष हेमंत सिंह नेगी ने कहा जिन वृक्ष की हम पूजा करते है वो औषधीय गुणों का भंडार भी होते हैं। जो हमारी सेहत को बरकरार रखने में मददगार सिद्ध होते हैं। आदिकाल में वृक्ष से ही मनुष्य की भोजन की पूर्ति होती थी। वृक्ष के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतुलन ओर संतुष्टि मिलती हैध्ं इस अवसर पर डा.हेमवती नन्दन, प्रो.एलपी पुरोहित, डॉ.महेंद्र असवाल, डॉ विपिन शर्मा, द्विजेन्द्र पंत, डा.पंकज कौशिक, डा.राकेश भूटियानी, डा.शिव कुमार चैहान, संजीव मिश्रा इत्यादि उपस्थित रहे।