युवा भारत साधु समाज नर नारायण सेवा के तहत निराश्रितों के उत्थान में योगदान दे रहा-स्वामी रविदेव शास्त्री

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विक्की सैनी

हरिद्वार, 9 मई। युवा भारत साधु समाज ने लगभग दौ सो लोगों को बहादराबाद में खाद्य सामग्री वितरित की। महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री के संयोजन में गरीब, असहाय निर्धन परिवारों को पांच कुंतल चावल, पचास किलो दाल, बीस लीटर तेल, मसाले, चाय पत्ती वितरित किया गया। महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि युवा भारत साधु समाज नर नारायण सेवा के तहत निराश्रितों के उत्थान में अपना योगदान देता चला आ रहा है। लाॅकडाउन के कारण श्रमिक वर्ग आर्थिक रूप से परेशान है। ऐसे में सभी को मिलजुल कर निराश्रितों की सेवा में अपना योगदान देना चाहिए।

बहादराबाद में दो सौ लोगों को खाद्य सामग्री वितरित की गयी है। लाॅकडाउन का अनुपालन सभी को करना चाहिए। सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना वायरस के रोकथाम के उपाय को अपनाने की आवश्यकता है। हाथों में ग्लब्स, मंूह में मास्क व सेनेटाइजर का इस्तेमाल भी करना होगा। जागरूकता से ही कोरोना की जंग को जीता जा सकता है। अज्ञात शत्रु को हराने के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकारें गंभीरता से कार्य कर रही हैं। अध्यक्ष स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि गरीबों के उत्थान के प्रयास करने होंगे। बेसहारा जरूरतमंदों की आवश्यकताओं को मिलजुल कर ही पूरा किया जा सकता है

।मजदूर वर्ग को राहत पहंुचाने के उद्देश्य से ही युवा भारत साधु समाज के तत्वाधान में बहादराबाद के दो सौ लोगों को खाद्य सामग्री वितरित की गयी है। अधिकांश ये लोग वह हैं जो लाॅकडाउन के लागू होने पर बहादरबाद में ही फंसे हुए हैं। ऐसे लोगों की सेवा करने से ही ईश्वरीय आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। उपाध्यक्ष संत जगजीत सिंह ने कहा कि संत समाज लाॅकडाउन में निर्णायक भूमिका निभा रहा है। सरकार को भी राहत राशि सौंपे जाने का कार्य किया जा रहा है। गरीब असहाय निर्धन परिवारों को आश्रम अखाड़ों के माध्यम से भोजन पैकेट भी दिए जा रहे हैं। संत महापुरूषों के आशीर्वाद से अवश्य ही कोरोना समाप्त होगा।

संत जगजीत सिंह ने कहा कि मानव सेवा के प्रकल्प चलाकर समाज को प्रेरणा देने का काम भी संत महापुरूषों द्वारा किया जाना प्रशंसनीय है। दो सौ परिवारों को खाद्य सामग्री सौंपे जाने पर सभी ने संत महापुरूषों का आशीर्वाद भी लिया। सहयोग करने वालों में स्वामी सुतीक्षण मुनि, स्वामी दिनेशदास, स्वामी अरूणदास, स्वामी योगेंद्रमुनि, स्वामी प्रेमदास, स्वामी सूरज दास, स्वामी केशवानंद, स्वामी विवेकांनद, स्वामी ओमानंद, स्वामी सुमितदास, स्वामी नित्यानंद, आचार्य पुष्पेंद्र, स्वामी कृष्णगिरी, राजकुमार क्षेत्री आदि शामिल रहे। 


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