तो ऐसे लड़ी जाएगी 2022 विधानसभा की जंग

Politics
Spread the love

ब्यूरो

उत्तराखंड में भाजपा ने साधे सटीक राजनीतिक समीकरण

धामी-कौशिक की जोड़ी चुनावी गणित के लिहाज से एकदम फिट

कुमाऊं-गढ़वाल और मैदान के बीच बनाया बेहतर समन्वय

हरिद्वार। आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उत्तराखंड में राजनीतिक समीकरणों को लेकर अब आश्वस्त दिख रहा है। प्रदेश में राजनीति के सभी केंद्रों के बीच संतुलन साधने के बाद पार्टी मान रही है कि धामी-कौशिक की जोड़ी आने वाले चुनावी गणित के लिहाज से फिट साबित होगी। कुमाऊं और गढ़वाल के साथ साथ इस बार प्रदेश में पहाड़ और मैदान के बीच भी पार्टी में काफी प्रभावी समन्वय नजर आ रहा है।

चुनाव से छह-आठ महीने पहले सत्ता और संगठन में हुए इन बदलावों ने न केवल पूरे प्रदेश के पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट किया है बल्कि अन्य पार्टियों के मुकाबले जनता में भी भरोसा जगाया है। मुख्यमंत्री के लिए पुष्कर सिंह धामी के तौर पर युवा चेहरा देकर पार्टी ने अपनी भविष्य की रणनीति को स्पष्ट किया है तो पार्टी अध्यक्ष के पद पर मदन कौशिक के रूप में सत्ता और संगठन में अनुभव को महत्व दिया है। कौशिक को कुशल चुनावी प्रबंधक के तौर पर भी जाना जाता है।

उत्तराखंड में राजनीति के मूलतः दो केंद्र माने जाते रहे हैं, कुमाऊं और गढ़वाल। इसके अतिरिक्त प्रदेश का मैदानी इलाका भी प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रखता है। इस इलाके में विधानसभा की करीब 30 सीटें आती हैं और यह क्षेत्र चुनावी नतीजों को बदलने में पूरी तरह सक्षम है। भाजपा ने आगामी चुनावों को देखते हुए इस बार सत्ता और संगठन में इन सभी क्षेत्रों को बराबर महत्व दिया है। मुख्यमंत्री धामी अगर कुमाऊं का प्रतिनिधित्व करते हैं तो प्रदेश अध्यक्ष कौशिक मैदान से आते हैं जो गढ़वाल से लगा हुआ है और उनका खासा असर वहां भी है। वह मैदानी इलाके से प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले पहले भाजपा नेता हैं और इस क्षेत्र की जनता और कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर उत्साह भी है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के मंत्रिमंडल में गढ़वाल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व रखा गया है।

जातिगत समीकरणों पर भी भाजपा ने काफी सोची समझी रणनीति के साथ काम किया है। मुख्यमंत्री और अध्यक्ष पद पर राजपूत-ब्राह्मण जोड़ी देकर पूरे प्रदेश की राजनीति को पार्टी ने साधा है। वैसे भी पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में मोदी और शाह चौंकाने वाले फैसलों के लिए जाने जाते हैं। इसलिए पार्टी संगठन की जिम्मेदारी एक अनुभवी राजनेता को सौंप कर बेहतर नतीजों के लिए भरोसा जताया है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि सत्ता और संगठन में धामी-कौशिक की जोड़ी के बाद अब प्रदेश में पहाड़ और मैदान की राजनीतिक खाई को भी पाट दिया गया है। आने वाले चुनाव में अब पहाड़ बनाम मैदान मुद्दा खत्म हो गया है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार के निर्णयों में अब मैदान के प्रतिनिधियों की हिस्सेदारी स्पष्ट दिखने लगी है। भाजपा का मानना है कि वैसे भी प्रदेश में विपक्षी पार्टियों के पास न तो मुद्दे बचे हैं और न लोकप्रिय नेता। जबकि विकास को लेकर आगे बढ़ रही भाजपा के पास प्रदेश व्यापी छवि वाले नेताओं की कमी नहीं है। मुख्यमंत्री के साथ साथ प्रदेश अध्यक्ष को भी पूरे प्रदेश में एक समान लोकप्रियता हासिल है। कौशिक ने प्रदेश अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में जनसंपर्क यात्राएं कर पार्टी का आधार बढ़ाया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *