तनवीर
हरिद्वार, 6 दिसम्बर। भारतीय जागरूकता समिति के अध्यक्ष हाईकोर्ट के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने युवाओं से नशे से दूर रहने की अपील करते हुए कहा है कि नशे के व्यापक दुष्परिणाम होते हैं। परिवार के एक भी सदस्य के नशे की लत का शिकार होने से पूरा परिवार प्रभावित होता है। नशा एक सामाजिक बुराई है। जो युवाओं को खोखला कर रहा है। युवा देश व समाज की ताकत हैं। युवाओं के नशे का आदि होने से पूरे समाज पर प्रभाव पड़ता है।
युवा वर्ग आसानी से नशे की गिरफ्त में आ जाता है। इससे जहां उनका स्वास्थ्य कमजोर होता है, वहीं कई युवा नशे के कारोबार में भी फंस जाते हैं। जिससे कानून की गिरफ्त में आने से उनका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है। मिगलानी ने कहा कि नशे को लेकर कानून काफी कठोर है। नशे की खरीद-फरोख्त करते हुए पकड़े जाने पर कानून में सख्त सजा का प्रावधान है। दोष सिद्ध होने पर दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। एनडीपीएस एक्ट अथवा संबंधित लाइसेंस रूल्स का उल्लंघन करने पर अधिकतम बीस वर्ष की कैद और दो लाख तक जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
एनडीपीएस एक्ट की धारा 16 में कोका के पौधे अथवा उसकी पत्ती के संबंध में कोई नियम का वायलेशन होता है, तो उसके लिए भी सजा निर्धारित की गई है। इसमें कोका के पौधे की खेती करना या उसके किसी भी भाग का कलेक्शन करना, बिक्री करना, खरीदना इत्यादि प्रतिबंधित किया गया है और इसमें 10 साल कारावास की सजा और एक लाख रूपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 17 में अफीम का उत्पादन, निर्माण, अपने पास अफीम रखना, उसकी खरीद-बिक्री करने पर 10 से 20 साल तक की सजा और दो लाख रूपए जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। मिगलानी ने बताया कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 18 में अफीम का कारोबार प्रतिबंधित किया गया है। इसमें अफीम पोस्ता की खेती, उत्पादन अथवा निर्माण को प्रतिबंधित किया गया है। इसकी अधिक मात्रा में पाए जाने पर 10 से 20 साल तक की सजा और अधिकतम दो लाख जुर्माना किया जा सकता है।
एनडीपीएस एक्ट की धारा 19 में किसी भी किसान द्वारा अफीम का अवैध रूप से उत्पादन करना शामिल है और लाइसेंस धारी होने के बावजूद भी सरकार के तय खाते से अफीम का गबन करना, सजा का कारण बन सकता है। इसमें कम से कम 10 साल और अधिकतम 20 साल तक की जेल की होसकती है। एक से दो लाख रूपए जुर्माना भी हो सकता है। इसी प्रकार एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 भांग, गांजे के पौधे के संबंध में है। धारा 21 ड्रग के उत्पादन और निर्माण के संबंध में निश्चित की गई है। दोनों में कमोबेश सजा उसी प्रकार की रखी गई है, जैसी उपरोक्त धाराओं में है। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी तरह के ड्रग का उत्पादन करने पर भारत का एनडीपीएस एक्ट कठोर रुख अख्तियार करता है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 22 मकिसी भी नशे के प्रोडक्ट हेतु मिले लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन प्रतिबंधित करती है, तो धारा 23 भारत में नशीली दवाओं के आयात निर्यात के लिए सजा निर्धारित करता है। धारा 24 नशीले पदार्थों के बाहरी लेनदेन, तो धारा 25 यह बताती है कि अगर किसी एक जगह पर यह कारोबार किया जाता है। अर्थात अगर आप अपना घर या कोई जगह, अपनी कोई गाड़ी इस तरह के कारोबार के लिए देते हैं तो कड़ी सजा के हकदार हो सकते हैं।
धारा 26 किसी भी लाइसेंसधारी अथवा उसके नौकर द्वारा किये गए उल्लंघन हेतु सजा निश्चित करती है, जिसमें सरकार को गलत सूचनाएं देना भी शामिल है। धारा 27 किसी भी नशीली दवा के सेवन से संबंधित है और इसे प्रतिबंधित किया गया है। 27 क में इस प्रकार के अवैध व्यापार को प्रतिबंधित किया गया है और इसका वित्त पोषण करने वाले अपराधियों को कड़े दंड का प्रावधान किया गया है।
मिगलानी ने बताया कि बच्चों को नशे से बचाने के लिए माता पिता को उनके खर्चो पर नजर रखनी चाहिये और बच्चो को हमेशा ये एहसास कराना चाहिये कि वो एक काबिल व्यक्ति है।
समाज और परिवार को उनकी आवश्यकता है। किस भी स्थिति में बच्चों को हतोत्साहित ना करें। असफलता मिलने पर उनका मनोबल बढ़ाएं। मनोबल कमजोर होने पर ही बच्चे नशे की तरफ आकर्षित होते हैं। मिगलानी ने कहा कि बेरोजगारी, युवाओ के बढ़ता खर्च, जागरूकता का आभाव, राजनैतिक लाभ, प्रलोभन, युवाओ में आत्मविश्वास कि कमी आदि से नशे का कारोबार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रलोभन में ना आए। नशा एक मीठे जहर के समान होता है। जो ऊपर से अच्छा लगता है। लेकिन अन्दर ही अन्दर नशा करने वाले व्यक्ति, उसके परिवार और समाज को खोखला कर देता है।