तनवीर
भारतीय जागरूकता समिति के सदस्यों ने अंतरराष्ट्रीय वीमेंस डे पर अपने विचार रखें
भारतीय जागरूकता समिति के अध्यक्ष व हाई कोर्ट के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने कहा कि समाज मे महिला संबंधित कानून की जानकारी का अभाव है। जिसके चलाते उनका दुरुपयोग महिलाओं द्वारा किया जाता हैं । अगर सही जानकारी का ज्ञान हो तो कई माहिलाये इनका दुरुपयोग करने से बचेगी और वास्तविक पीड़ित महिला को न्याय मिलेगा।
भारतीय जागरूकता समिति की वीमेंस विंग की अध्यक्ष शिवानी गौड़ ने कहा नारी तुम प्रेम हो, आस्था हो, विश्वास हो टूटी हुई उम्मीदों की एकमात्र आस हो हर जन का तुम्हीं तो आधार हो नफ़रत की दुनिया में मात्र तुम्हीं प्यार हो। उठो अपने अस्तित्व को संभालो केवल एक दिन ही नहीं हर दिन नारी दिवस बना लो।
समिति की कार्यक्रम सचिव दीपाली शर्मा ने कहा जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। 8 मार्च को महिलाओं के समाज में उनके योगदान और उनकी उपलब्धियों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने तथा समाज में उनके प्रति सम्मान प्रस्तुत करने के लिए मनाया जाता है। महिलाओं को समाज में विशेष स्थान और सम्मान दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को 28 फरवरी 1909 में पहली बार मनाया गया था। परंतु संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने वर्ष 1975 में इस दिवस को 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय रुप से मनाये जाने का निर्णय लिया।
समिति की सदस्य रेनू जी ने कहा एक महिला पुरुष के सभी कर्तव्यों का पालन करती है लेकिन एक पुरुष वह सब नहीं कर सकता जो एक महिला कर सकती है
नारीवाद महिला को मजबूत बनाने के बारे में नहीं है, महिलाएं पहले से ही मजबूत हैं, यह उस दुनिया को बदलने के बारे में है जो उस ताकत के लिए अनमोल है।
समिति की सूचना प्रभारी डॉ अर्पिता ने कहा सम्पत्ति पर जो अधिकार पुत्र को बिना मांगे ही मिल जाता था। उसी अधिकार को पाने के लिए पुत्री को कोर्ट जाना पड़ता था। इस पुरानी और रूढ़िवादी परम्परा को समाप्त करके कानूनी रूप से बेटियों को सम्पत्ति मे समान अधिकार दिया जाना, अतिप्रशंसनीय है, इससे समाज में बेटियों को बेहतर भविष्य बनाने के अवसर मिलेंगे।
समिति की विरिष्ठ सदस्य नेहा मालिक ने कहा कि महिलाओं का सशक्तिकरण की बजाए पुरुषों की मानसिकता का सशक्तिकरण करने की जरूरत है। पुरुषों की मानसिकता बदलेगी तो महिलाएं खुद ही सशक्त हो जाएंगी। महिलाएं खुद को अबला ना समझे। घर में काम काज करने वाली महिला भी अपनी इच्छाशक्ति से मुकाम पा सकती है।
समिति की कोषाध्यक्ष अर्चना शर्मा ने कहा कि समाज की नारी पहले से जागरूक हुई है लेकिन उनको और जागरूक करना आवश्यक है। ताकि उनमे आत्मविश्वास बड़ सके ।आज के दौर मे भी कई माहिलाये थाने कोर्ट के नाम से डरती है। और अत्याचारो को बर्दाश्त करती है।