तनवीर अली
हरिद्वार, 17 मार्च। विगत तीन वर्षो से बेजुबान पशुओं की सेवा कर समाज के समक्ष अनुकरणीय उदाहरण पेश कर रहे ज्वालापुर निवासी व्यापारी आशीष मेहता ने कहा कि सभी को बेजुबानों की सेवा में योगदान करना चाहिए। आशीष मेहता ने कहा कि अपनी व्यथा किसी से भी कह सकने में अक्षम बेजुबान पशु पक्षी पूरी तरह मानवीय दया पर आश्रित हैं।
सृष्टि का निर्माण होने के बाद से ही पशु पक्षी व मानव के बीच एक अटूट संबंध है। पशु पक्षी बेजुबान जरूर हैं, लेकिन उनके अंदर भी संवेदना का भाव होता है। पशु पक्षी भी अपनी सेवा करने वाले व्यक्ति के प्रति प्रेम भाव रखते हैं। भारतीय धर्म ग्रंथों में इस संबंध में कई उदाहरण मिलते हैं। गौसेवा व अन्य पशु पक्षीयों की सेवा करने का संदेश धर्म ग्रंथों में दिया गया है। उन्होंने बताया कि वे प्रतिदिन मां मनसा देवी के दर्शन करने जाते हैं। कोरोना काल में जब मंदिरों में भक्तों की आवाजाही पूरी तरह बंद हो गयी तो मंदिर के आसपास रहने वाले भूखे से व्याकुल बंदर, लंगूर व अन्य पशु पक्षियों को देखकर उन्होने उनकी सेवा करनी शुरू की। तब यह सिलसिला अनवरत रूप से चल रहा है। उन्होंने कहा कि जब वे मंदिर जाते हैं तो बंदरों, लंगुरों के खाने के लिए कुछ न कुछ अवश्य लेकर जाते हैं। वे भी उनकी राह देखते हैं।
मंदिर के आसपास रहने वाले बंदरों व लंगूरों के साथ उनका एक आत्मीय रिश्ता कायम हो गया है। इसके अलावा रास्ते में मिलने वाली गौमाता को चारा खिलाना उनकी दिनचर्या का अंग बन गया है। आशीष मेहता ने मांग करते हुए कहा कि वन विभाग को मनसा देवी व चण्डी देवी मंदिर के आसपास रहने वाले बंदरों, लंगुरों के खाने पीने तथा पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। स्वयंसेवी संस्थाओं को भी इसमें सहयोग करना चाहिए। साथ ही आमजन को भी सेवाभाव के साथ बेजुबान पशु पक्षीयों की सेवा में सहयोग करना चाहिए।