भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं ने हमेशा दुनिया का मार्गदर्शन किया है-स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी

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राकेश वालिया

हरिद्वार, 21 अप्रैल। कोराना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए किए गए लाॅकडाउन के चलते आजीविका गंवा चुके चण्डीघाट क्षेत्र में रहने वाले हजारों मजदूरों को मंगलवार को भी श्री दक्षिण काली मंदिर अन्न क्षेत्र की ओर से भोजन वितरित किया गया। श्री दक्षिण काली मंदिर पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि भारत सनातन परंपराओं को मानने वाला देश है। भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं ने हमेशा पूरी दुनिया का मार्गदर्शन किया है। सेवा भारतीय संस्कृति का विशेष गुण है। खतरनाक व लाइलाज कोरोना वायरस का सर्वाधिक असर गरीब मजदूर वर्ग पर हुआ है। लाॅकडाउन होने पर प्रतिदिन मजूदरी कर आजीविका कमाने वाले मजदूर वर्ग के सामने परिवार के लिए भोजन जुटाने का संकट उत्पन्न हो गया है।

इसी को देखते हुए चण्डीघाट क्षेत्र में रहने वाले हजारो मजदूर परिवारों को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। लाॅकडाउन जारी रहने तक यह सिलसिला लगातार जारी रहेगा। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि कोरोना वायरस से पूरी दुनिया पीड़ित है। इस लाइलाज खतरनाक वायरस के चलते विश्व में लाखों लोग असमय ही जान गंवा चुके हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कोरोना को नियंत्रित करने में जो सफलता हासिल की है। उसने एक बार फिर पूरी दुनिया को राह दिखायी है। उन्होंने कहा कि मां दक्षिण काली की कृपा से कोरोना वायरस भारत से जल्द ही समाप्त हो जाएगा। पुलिसकर्मी, चिकित्सक, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी दिनरात कोरोना के खिलाफ जंग लड़ते हुए देश की जनता को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में सभी को उनका सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को एक गहरे संकट में धकेल दिया है।

सभी इस संकट काल में गरीब मजूदर वर्ग की अधिक से अधिक सहायता करें। स्वामी राधाकांताचार्य व स्वामी अनुरागी महाराज ने कहा कि गरीबों की सेवा मात्र से ही व्यक्ति को सहस्त्र गुणा पुण्य फल की प्राप्ति होती है। लाॅकडाउन के संकट में संत समाज लगातार जरूरतमंदों को भोजन व कच्चा राशन वितरित कर सेवा कर रहा है। मानव सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है। इस अवसर पर आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, पंडित शिवकुमार शर्मा, स्वामी लालबाबा, स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी, अंकुश शुक्ला, बालमुकुन्दानंद ब्रह्मचारी आदि मौजूद रहे।


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