कमल खडका
हरिद्वार, 17 नवंबर। बिहार महासभा के अध्यक्ष चंद्रकांत पांडेय ने बताया कि 4 दिन चलने वाला आस्था से जुड़ा छठ पर्व महासभा के संयोजन में धूमधाम से मनाया जाएगा। चंद्रकांत पाण्डे ने बताया कि बुधवार 18 नंवबर का नहाए खाए से चार दिनी पर्व की शुरूआत होगी। 19 को लोहंडा, 20 की शाम को अस्त होते तथा 21 तारीख की प्रातः उदय होते सूर्य भगवान को अर्ध देकर श्रद्धालु व्रत का समापन करेंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होने वाले इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है।
इसमें महिलाएं 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती है और पारण के दिन उगते सूर्य को अर्घ देकर ही भोजन ग्रहण करती हैं। कई जगह पुरुष भी व्रत रखते हैं। बिहार के अलावा यूपी, छत्तीसगढख़् झारखंड, पश्चिम बंगाल, नेपाल एवं देश विदेश में कई स्थानों पर छठ का त्यौहार मनाया जाता है।
जिलाध्यक्ष दिनेश पांडे ने बताया कि सूर्योपासना के इस पर्व में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ मैया सूर्य देव की बहन है। पांडवों की पत्नी द्रोपदी अपने परिवार के उत्तम स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए नियमित तौर पर सूर्य पूजन किया करती थी। जब पांडव अपना सारा राजघाट जुए में हार गए। तब द्रौपदी ने सूर्य भगवान की आराधना की और छठ का व्रत रखा। सूर्य देव के आशीर्वाद से उनकी सभी मनोकामना पूरी हुई।
महामंत्री संतोष पांडे ने बताया कि संतान प्राप्ति व दीघार्यू के लिए महिलाएं छठ का व्रत रखकर सूर्य देव की आराधना करती हैं। देश-विदेश में जहां भी पूर्वांचल व बिहार के लोग रहते हैं। वहां बेहद आस्था के इस साथ त्यौहार को मनाया जाता है। नदी या नहर के किनारे पूरे परिवार के साथ विधि विधान पूर्वक सूर्य देव की आराधना कर मंगल कामना की जाती है।