विकास झा
***छठ की छटा को देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
*** पूर्वांचल संस्कृति से सारोबार हुई धर्मनगरी
हरिद्वार। उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो गया। लगातार 36 घंटे से निर्जला रहकर व्रत धारण करने वाली व्रती महिलाओं ने जल ग्रहण कर अपने व्रत का पारण किया और अपने परिवार की सकुशलता के लिए भगवान दिनकर नाथ से प्रार्थना की। तीर्थ नगरी हरिद्वार के समस्त गंगा घाटों पर उत्सव का माहौल बना रहा। छठ पर्व की छठा को देखने के लिए घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही।
तीर्थ नगरी हरिद्वार में वर्ष भर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। उनमें छठ पर्व की छटा निराली होती है गंगा घाटों पर उत्सव का माहौल होता है। पुरबिया संस्कृति में रंगी धर्म नगरी का एक अलग ही स्वरूप देखने को मिलता है। हरिद्वार में रहने वाले पूर्वांचल एवं बिहार के लोगों ने लोक आस्था एवं सूर्य आराधना का पर्व छठ पर्व पूरी श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया।
पंचपुरी हरिद्वार, कनखल, ज्वालापुर, बहादराबाद के समस्त घाटों पर छठ पर्व के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। भगवान सूर्यनारायण के उदय होने के पूर्व ही सभी छठ व्रती महिलाएं गंगा घाटों पर एकत्र होकर और गंगाजल में खड़े होकर भगवान सूर्यनारायण के उदय होने का इंतजार किया। जैसे ही सूर्य नारायण के दर्शन हुए उनको अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण किया। इस दौरान गंगा घाटों पर उत्सव का नजारा देखने को मिला।
छठी मैया के गीत सुनकर श्रद्धालू भक्ति भाव से विभोर हो गए। हरिद्वार की पावन भूमि पूर्वांचल संस्कृति से सारोंबार हो गई। चारो और छठ की छटा निखरी रही। छठी मैया के गीतों से वातावरण भक्तिमय हो गया।
पूर्वांचल उत्थान संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष आशुतोष पांडेय, शशि भूषण पांडे, डा नारायण पंडित, डॉ निरंजन मिश्रा, डा एसके झा, प्राचार्य सुमन झा, आचार्य सागर झा, पंडित ऊधव मिश्र, पंडित विनय मिश्रा, पंडित भोगेद्र झा, नरेश झा, अनिल झा, भगवान झा, रणजीत झा संतोष झा, विनोद कुमार त्रिपाठी, मनोज शुक्ला, मदनेश मिश्रा, मनोज मिश्रा, शंकर झा, दिलीप कुमार झा, अवधेश झा, सहित अन्य लोगों ने छठ पर्व की विशेष तैयारियां की।