तनवीर
हरिद्वार, 6 मार्च। तपोनिधि श्री पंचायती अखाड़ा आनन्द के श्रीमहंत भैरोगिरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति की धरोहर व ध्यान साधना का पर्व है। संत महापुरूष हमेशा ही ध्यान, साधना, सत्संग, भजन, कीर्तन, हवन यज्ञ आदि के माध्यम से भक्तों के कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन कुंभ मेले के दौरान हरिद्वार के गंगा तट से संत महापुरूषों द्वारा प्रसारित आध्यात्मिक संदेश पूरी दुनिया को आलोकित करेगा।
श्रीमहंत भैरोगिरी ने कहा कि सनातन धर्म के शिखर उत्सव कुंभ में गंगा स्नान कर लाखों श्रद्धालु पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। ऐसे में सभी का दायित्व है कि गंगा को स्वच्छ, निर्मल, अविरल बनाए रखने में सहयोग करें। मां गंगा भारतीय संस्कृति की प्रतीक है। गंगा की पवित्रता बनाए रखने के लिए जाति धर्म से ऊपर उठकर सतत प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले की दिव्यता व भव्यता संत महापुरूषों से ही है। कुंभ मेले के दौरान एक ही स्थान पर सिद्ध महापुरूषों के दर्शन व आशीर्वाद का अवसर श्रद्धालुओं को मिलता है।
विदेशी श्रद्धालु भी सनातन धर्म व कुंभ की महत्ता से प्रभावित होकर सनातन धर्म की परंपरांओं को अपना रहे हैं। उन्होंने बताया कि अखाड़ों के नागा सन्यासियों ने देश व धर्म की रक्षा में अतुलनीय योगदान दिया है। पेशवाई के दौरान स्थानीय श्रद्धालुओं ने संत महापुरूषों का स्वागत व दर्शन कर जिस भाव को प्रदर्शित किया है। उसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं। श्रीमहंत भैरागिरी ने कहा कि कोरोना के बावजूद कुंभ मेला पूरी दिव्यता व भव्यता के साथ संपन्न होगा। सभी को सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए कुंभ को सफल बनाना चाहिए।