श्रद्धापूर्वक मनाया गयी गौपाष्टमी

Haridwar News
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राहत अंसारी


हरिद्वार, 11 नवम्बर। धर्मनगरी हरिद्वार में गौपाष्टमी का पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया गया। श्रद्धालुओं ने गौशालाओं व घरों में गाय का पूजन अर्चन कर परिवारों के लिए मंगलकामना की। दीपावाली के बाद कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गायों की पूजा की जाती है। श्री बागो वाले देवता गौधाम महातीर्थ के सचिव पंडित वासु मिश्रा ने गोपाष्टमी के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि शास्त्रों में गाय को भारतीय संस्कृति का जीवन प्राण बताया गया है।

संसार का सबसे पवित्र पशु गाय को देवतुल्य माना जाता है। गाय के शरीर में सभी देवताओं का निवास होता है। गाय के गोबर और गौमूत्र से लिपी भूमि,देव पूजा व यज्ञ के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। भगवान श्रीकृष्ण का गोविंद नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने गोपालन-गोसंरक्षण-संवर्दन व गो सेवा के प्रति लोगों को प्रेरित किया था। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन काल से ही गौपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इंद्र के प्रकोप से गोप-गोपियों और गायों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से अष्टमी तक गोवर्धन पर्वत को धारण किये रहे।

अंत मे इंद्र ने अपने अहंकार को त्यागकर भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा याचना की। कामधेनु नामक गाय ने भगवान श्रीकृष्ण का अपने दूध से अभिषेक किया। श्रीकृष्ण ने उस दिन कामधेनु गाय की स्तुति की और गायों की रक्षा एवं पालन करने की प्रतिज्ञा की। ग्राम वासियों ने भगवान श्रीकृष्ण की और गायों की पूजा की। ब्रज में इस उत्सव को भव्य रूप से मनाया जाता है। संस्था के अध्यक्ष पंडित निकुंज शर्मा ने बताया कि गोपाष्टमी के दिन गायों को स्नान कराकर पैरों में मेहंदी आदि लगाकर श्रृंगार किया जाता है।

गायों के सींग में मुकुट आदि पहनाकर उनकी परिक्रमा कर उनके पैरों की मिट्टी को अपने सिर पर लगाकर आशीर्वाद लिया जाता है। इस दौरान अनुराग शर्मा, दीपक अरोड़ा, राजकुमार शर्मा आदि भी मौजूद रहे।

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