अमरीश
हरिद्वार, 10 अप्रैल। पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने प्रैस को जारी एक बयान में कहा कि उन्होंने होटल, रेस्टौरेंट व्यवसाय से जुड़े व्यवसायियों, इनमें काम करने वालों शेफ, प्रबंधक, इस व्यवसाय से जुड़ी वर्कर यूनियनों से बात की है। यदि जल्दी ही लॉकडाउन से निजात न मिली तो प्रदेश में बेरोजगारों की बड़ी भारी फौज खड़ी होने जा रही है। बड़े ग्रुप के यहाँ बहुत ही कम होटल हैं। जो इस झटके को अधिक से अधिक तीन महीने तक सम्भाल लेंगे। जबकि बाकी का हाल अभी से बुरा होने लगा है। अधिकतर होटल स्थानीय उत्तराखंडियों ने लीज पर ले रखे हैं। उनकी हालत तो और भी खराब है। उन्हें मालिकों का लीज रेंट भी देना है।ओयो पहले ही दिवालियेपन की कगार पर है। उस पर होटल मोटल मालिकों का पहले से ही काफी बकाया है।
मई और जून में कश्मीर की स्थिति के कारण यहाँ पर्यटकों के आने की सम्भावना थी। क्योंकि उस समय स्कूलों की भी छुट्टियाँ हो जाती हैं, कोरोनो ने उन सम्भावनाओं को खत्म कर दिया है। होटलों के सामने सबसे बड़ी समस्या इस विश्वास को बरकरार रखने की होगी कि उसमें ठहरने वाले यात्री सुरक्षित हैं। कोरोना उस विश्वास को तोड़ चुका है। सबसे अधिक भरोसा धार्मिक यात्रा का था, जो कि खतरे में पड़ती दिखाई दे रही है।
इस क्षेत्र में काम करने वाले हमारे उत्तराखंडी भाई पूरे विश्व में फैले हैं और आज देश-दुनिया की स्थिति कोई अच्छी नहीं है, अगर वे सब अपने गाँव-घर वापस आ गये तो क्या होगा। राज्य बनने के बाद राज्य में होटलों की बाढ़ सी आ गयी है। अस्थायी राजधानी देहरादून में वर्ष 2000 से पहले गिने-चुने होटल, रेस्टोरेंट थे, आज तो बाढ़ आ गयी है। यही हाल पूरे प्रदेश का है। अधिकतर होटल, रेस्टोरेंट व्यवसायियों ने बैंकों से कर्ज ले रखे हैं। नोटबंदी के नुकसान से वे भरपाई भी नहीं कर पाये थे, नई आफत कोरोना लेकर आ गया है। मेरा सरकार को सुझाव है कि वह केंद्र सरकार से बात करे, बैंकों की ऋण अदायगी पर एक वर्ष की रोक लगाये। राज्य सरकार भी बिजली-पानी व अन्य करों को एक वर्ष के लिये स्थगित करे। स्थानीय निकाय भी इसी तरह की सुविधा प्रदान करें।
लोकडाउन में सुरक्षा चक्र का ध्यान रखते हुये, सरकार इस व्यवसाय के प्रतिनिधि संगठनों से बात कर भविष्य का रास्ता तलाश सकती है, इस व्यवसाय से जुड़े कई लोग तो बात करने पर भयंकर अवसाद में लग रहे हैं। समय पर चेत जायेंगे तो आसन्न संकटों से बच जायेंगे।