खास खबर:-कोरोना संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों के अस्थि अवशेषों को मिली गंगा की गोद

Dharm Haridwar News
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तनवीर/कमल खडका

स्वामी राजेश्वरानन्द महाराज के सानिध्य में दिल्ली से लाए गए 50 अस्थि कलश किए गए गंगा में प्रवाहित 

कोरोना के भय के चलते परिजनों ने शमशान में लावारिस छोड़ दी थी अस्थियां

हरिद्वार, 7 अगस्त। स्वामी राजेश्वरानन्द महाराज के सानिध्य में दिल्ली के निगमबोध घाट से लायी गयी कोरोना संक्रमण के चलते असमय मौत के आगोश में चले गए पचास लोगों की अस्थियां कनखल स्थित सती घाट पर पूर्ण विधि विधान व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गंगा में विसर्जित की गयी। कोरोना के भय के चलते परिजनों ने अस्थियां शमशान में लावारिस छोड़ दी थी। जिन्हें स्वामी राजेश्वरानन्द महाराज ने हरिद्वार लाकर गंगा में विसर्जन किया।

अस्थि विसर्जन के उपरांत मृतकों की आत्मा की शांति के लिए गंगा तट पर हवन यज्ञ भी किया गया। भूपतवाला स्थित श्री राजमाता आश्रम के स्वामी राजेश्वरानन्द महाराज ने बताया कि एक दिन वे दिल्ली के निगमबोध घाट गए तो कोरोना संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों की अस्थियां लावारिस अवस्था में पड़ी देखकर उन्हें बेहद दुख हुआ। पूछताछ करने पर पता चला कि कोरोना के भय के चलते मृतकों के परिजन अस्थियां लेने नहीं आ रहे हैं। इस पर उन्होंने सनातन परंपरा के अनुसार अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने का प्रण लिया और पचास मृतकों के अस्थि अवशेषों को हरिद्वार लाए।

स्वामी राजेश्वरानन्द महाराज ने बताया कि सनातन धर्म के अनुसार मरणोपरान्त जब तक गंगा में अस्थि विसर्जन नहीं होता है। तब तक मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलती। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित का तिरस्कार व मरणोपरान्त अस्थि विसर्जन तक नहीं करना बेहद अमानवीय है। कोरोना संक्रमितों के साथ इस प्रकार का व्यवहार बेहद दुखद है। परिवारों द्वारा ठुकरा दिए अस्थि कलशों का गंगा में विसर्जन करने के बाद उन्हें बेहद आत्मिक शांति का अनुभव हो रहा है। इस प्रकार के सेवा कार्यो के लिए सभी को तत्पर रहना चाहिए। अस्थि विसर्जन में संस्थान के सहप्रबन्धक राम वोहरा, गुलशन शर्मा, सरला तिवारी व आशा शर्मा ने सहयोग किया। 

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