विडियो :-कुंभ को स्थगित करना अशास्त्रीय और निन्दनीय-स्वामी आनन्द स्वरूप

Haridwar News
Spread the love


तनवीर/अमरीश

हरिद्वार, 18 अप्रैल। शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनन्द स्वरूप ने कहा कि कुंभ को स्थगित नहीं किया जा सकता। जिस तरह सूर्य की गति को स्थगित नहीं किया जा सकता। प्रकृति के नियमों को टाला नहीं जा सकता। उसी तरह बारह वर्ष बाद लगने वाले कुंभ को स्थगित नही किया जा सकता। भूपतवाला स्थित शाम्भवी आश्रम में पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वामी आनन्द स्वरूप ने कहा कि जब बंगाल विधानसभा चुनाव स्थगित नहीं हुआ, रैलियों को टाला नहीं गया।

उत्तर प्रदेश का पंचायत चुनाव तय कार्यक्रम के अनुसार कराया जा रहा है, तो कुंभ को स्थगित करना, टालना या समापन की बात करना सत्ता की चाटुकारिता का प्रतिफल है। लेकिन कुछ लोगों का निर्णय समस्त संत समाज का निर्णय नहीं हो सकता। संत लौकिक नहीं बल्कि पारलौकिक सरकार में विश्वास रखता है और संत समाज की सरकार कभी भंग नहीं होती। अनादिकाल से चली आ रही परम्परा को राजनैतिक हाथों की कठपुतली बनकर रोक देना उचित नहीं है। कुंभ किसी भी दशा में स्थगित नहीं किया जा सकता। स्वामी आनन्द स्वरूप ने कहा कि प्रधानमंत्री परंपराओं की जानकारी रखते हैं। इसीलिए उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से कुंभ चलते रहने की अपील की थी।

लेकिन कुछ संतों ने चाटुकारिता का परिचय देते हुए कुंभ और देवताओं का ही विसर्जन कर दिया। जोकि पूर्णतः अशास्त्रीय और घोर निन्दनीय है। स्वामी आनन्द स्वरूप महाराज ने कहा कि कुंभ की तुलना मरकज से करना हास्यास्पद है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे गलत कर रहे हैं। कुंभ मे आने वाले प्रत्येक संत महात्मा व श्रद्धालु ने जिम्मेदारी का परिचय दिया है। कुंभ में आने वाले लोगों के लिए कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट होने की अनिवार्यता के चलते ही पिछले कुंभ मेलों की अपेक्षा इस वर्ष बेहद कम संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आए। उन्होंने कहा कि मरकज के लोग एक हाॅल में एकत्र हुए थे। जबकि कुंभ क्षेत्र हरिद्वार से लेकर ऋषिकेश तक विस्तृत है। श्रद्धालुओं के स्नान के लिए 16 घाट बनाए गए हैं। सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए श्रद्धालु निर्धारित घाटों पर ही गंगा स्नान कर रहे हैं। संत समाज भी सरकार द्वारा लागू सख्त नियमों का पालन करते हुए धार्मिक अनुष्ठानों का सम्पादन कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *