राकेश वालिया
गुरू गोविन्द सिंह के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में निर्मल अखाड़े ने निकाली नगर कीर्तन यात्रा
हरिद्वार, 18 दिसम्बर। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के संयोजन में गुरू गोविन्द सिंह के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में नगर कीर्तन यात्रा निकाली गयी। ग्राम शेरपुर खादर से कनखल स्थित निर्मल विरक्त कुटिया डेरा कार सेवा तक निकाले गए नगर कीर्तन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त शामिल हुए। शेरपुर खादर से शुरू हुई सुन्दर झांकियों व बैण्ड बाजों से सुसज्जित नगर कीर्तन यात्रा बड़ीवाला, तुगलपुर खालसा, प्रहलादपुर, सहीपुर मोड़, राजपुर, महेश्वरा, लकसर, तिगड़ी, भुक्कनपुर, ऐथल, सुभाषगढ़, दिनारपुर, चिट्टी कोठी, इक्कड़ कलां, हरिलोक, ज्वालापुर कोतवाली, पंजाबी धर्मशाला, गुरूद्वारा सिंह सभा, गोल गुरूद्वारा, सेक्टर-2 बैरियर, रानीपुर मोड़ होते हुए निर्मल विरक्त कुटिया पहुंचाी।
नगर कीर्तन यात्रा का जगह-जगह श्रद्धालु भक्तों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। नगर कीर्तन यात्रा में सिख समुदाय के युवकों ने लाठी घुमाना, तलवारबाजी, चक्र घुमाना आदि प्राचीन युद्ध कला को भी प्रदर्शित किया। इस अवसर पर श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह ने धर्म व राष्ट्र के लिए जीवन समर्पित किया। गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित करते हुए गुरु परंपरा को खत्म किया था। इसके लिए उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने पांच प्यारों को अमृत पान करवाकर खालसा बनाया और खुद भी उनके हाथों से अमृत पान किया।
गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ में जीवन के पांच सिद्धांत दिए हैं, जिन्हें पंच ककार के नाम से जाना जाता है। महंत अमनदीप सिंह महाराज ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह एक महान योद्धा होने के साथ ही कई भाषाओं के जानकार और अच्छे लेखन और महान विद्वान भी थे। गुरु गोबिंद सिंह ने कई ग्रंथों की रचना भी की। गुरू गोविंद सिंह ने सत्य और धर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान कर दिया था। सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। नगर कीर्तन यात्रा में संत जरनैल ंिसंह, ज्ञानी हरि सिंह, संत गुरप्रीत सिंह, संत जसकरण सिंह, संत सुखमन सिंह, संत रवि सिंह, संत निर्भय सिंह, निर्मल विरक्त कुटिया के कार सेवक संत बाबा हरबंश सिंह, गुरूनानक देव धर्म प्रचार समिति के अनूप सिंह सिद्धू, सूबा सिंह ढिल्लो, सुखदेव सिंह, हरमोहन सिंह, उज्जल सिंह, लाहोरी सिंह, बलविंदर सिंह, सरदारा सिंह, करमजीत सिंह, हरभजन सिंह बाजवा, बलवीर सिंह आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।