तनवीर
हरिद्वार, 2 अप्रैल। प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत रविपुरी महाराज ने नव संवत्सर एवं चैत्र नवरात्रों की सभी को बधाई, शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि नव संवत्सर के साथ ही नवरात्र आरंभ हो गए हैं। नवरात्र मां भगवती की आराधना का पर्व हैै। सही तरीके से किए गए मंत्रों के उच्चारण से देवी कृपा से मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। महंत रविपुरी महाराज ने कहा कि मनुष्य के शरीर में नौ द्वार हैं और माता के भी नौ स्वरूप हैं।
नवरात्र इन नौ द्वारों को शुद्ध करने का पर्व है। चैत्र नवरात्र में शरीर की क्षीण हुई शक्तियों को पुनः प्राप्त करने के लिए माता की आराधना की जाती है। नवरात्र में नौ दिन उपवास कर शरीर में आए विकारों का नाश किया जाता है। मन, वचन और कर्म की शुद्धि के लिए माता की पूजा-अर्चना कर मन को निर्मल किया जाता है। उन्होंने कहा कि अष्टमी व नवमी के हवन में मन के विकार काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ की आहुति देकर आत्मा को पवित्र और निर्मल बनाने के बाद मां भगवती प्रसन्न होती है।
अंतर्मन से की गई प्रार्थना से मां का वात्सल्य रूप जागृत हो जाता है और माता अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। उन्होंने कहा कि संवत्सर का अर्थ है सम़वत्सर यानी पूर्ण वर्ष। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्माजी ने इस दिन संपूर्ण सृष्टि और लोकों का सृजन किया था। इसी दिन भगवान विष्णु का मत्स्यावतार भी हुआ था। हिंदू शास्त्रों के अनुसार नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है।