मंदिरों को तोड़ा जाना बेहद दुर्भाग्यूपर्ण-श्रीमहंत राजेंद्रदास

Dharm
Spread the love

राहत अंसारी

हिंदुओं के हितों पर कुठाराघात :-पंडित अधीर कौशिक

हरिद्वार, 24 मई। बैरागी कैंप में श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा व श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े के मंदिर तोड़े जाने पर वैष्णव संतों ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। प्रैस को जारी बयान में श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि अतिक्रमण के नाम पर वैष्णव अखाड़े के मंदिरों को तोड़ा जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। संत समाज इसकी घोर निंदा करता है। उन्होंने कहा कि मंदिर तोड़े जाने से बाबर एवं मुगलकाल की यादें ताजा हो गयी हैं।

श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म पर कुठाराघात को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाजपा शासनकाल में संतों के साथ ऐसे दुव्र्यवहार की उन्हें कतई आशा नहीं थी। ऐसे घिनोने कृत्य के लिए सरकार को माफी मांगनी चाहिए और मंदिरों को विधि विधान से पुनः स्थापित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैरागी कैंप क्षेत्र में बड़ी संख्या में कब्जे कर अवैध निर्माण किए हैं। लेकिन उसके सामने भ्रष्ट अधिकारियों की आंखे बंद पड़ी हैं। पूरे बैरागी कैंप को अतिक्रमण मुक्त वैष्णव संतों को लीज पर भूमि दी जाए।

श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत कृष्णदास महाराज ने कहा कि सनातन हिंदु धर्म के स्थलों को तोड़कर सरकार ने धर्म विरोधी होने का परिचय दिया है। सरकार यदि सुप्रीम कोर्ट को सही रूप से बैरागी कैंप की वास्तविक स्थिति से अवगत कराती तो मंदिर टूटने से बच सकते थे। लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों व सरकार की धर्म विरोधी नीति के चलते मंदिर तोड़े गए। जिसका समस्त वैष्णव संत समाज घोर विरोध करता है। सरकार को इसका खामियाजा आगामी चुनावों में भुगतना होगा।

इस अवसर पर महंत महेश दास, महंत नरेंद्र दास, महंत मनीष दास, महंत बिहारी शरण दास, महंत रघुवीर दास, ब्रह्माण्ड गुरू अनन्त महाप्रभु, महंत विष्णुदास, महंत प्रह्लाद दास, महंत सूरजदास, संत सेवक दास, महंत प्रेमदास, महंत अगस्त दास, महंत अमित, महंत दुर्गादास आदि संतों ने भी मंदिर तोड़े जाने की निंदा की।

श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक क्या बोले?

श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने मंदिर तोड़े जाने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया उन्होंने कहा कि सरकार बैरागी कैंप मैं मंदिर ध्वस्तिकरण का निर्णय पर न्यायालय में अपना पक्ष रख सकती थी। गंगा किनारे 200 मीटर निर्माण को लेकर भी आज तक आदेशों का कोई पालन नहीं हो पाया है।लेकिन बैरागी कैंप से मंदिरों को हटाया जाना हिंदुओं के हितों पर कुठाराघात है। पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि सरकार मध्यस्था का रास्ता भी निकाल सकती थी। लेकिन राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को नहीं समझा ।सनातन संस्कृति पर कुठाराघात किया जा रहा है उन्होंने कहा कि हिंदुओं के मान सम्मान से किसी प्रकार का कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *