अलोकिक गुणों से विभूषित समन्यवादी संत थे साकेतवासी स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी

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राकेश वालिया


हरिद्वार, 12 नवम्बर। भीमगोड़ा स्थित जगन्नाथ धाम ट्रस्ट में साकेतवासी सत बाबा साहिब सरयुदास महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी जगन्नाथ महाराज, महामण्डलेश्वर महंत पूर्णदास महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी कृष्णानन्द महाराज एवं श्रीमहंत हरिदास महाराज की पुण्यतिथी पर आयोजित गुरूजन स्मृति समारोह में संत समाज ने श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि समारोह के दौरान साकेतवासी जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज का भावपूर्ण स्मरण करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि साकेतवासी हंसदेवाचार्य महाराज आलोकिक गुणों से विभूषित समन्वयवादी संत थे।

अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण में उनका अहम योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि एकजुटता के साथ समाज का मार्गदर्शन करने का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि सभी संप्रदायों में समान रूप से लोकप्रिय साकेतवासी स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज क्रांतिकारी संत थे। संत समाज को एकजुट कर अयोघ्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने में उनकी मुख्य भूमिका रही। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। स्वामी हंसदेवाचार्य के शिष्य लोकेश दास एवं अरूण दास महाराज ने सभी संतजनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जीवन में गुरू का होना बेहद आवश्यक है।

वे सौभाग्यशली हैं कि उन्हें जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज जैसे महान गुरू का सानिध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि गुरूदेव साकेतवासी हंसदेवाचार्य महाराज ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए अथक संघर्ष किया। साकेतवासी पूज्य गुरूदेव की प्रेरणा से वे कृष्ण जन्म भूमि के लिए किसी भी संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे। पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी एवं महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनान्द महाराज ने कहा कि परोपकार व लोक कल्याण के जीवन समर्पित करने वाले साकेतवासी स्वामी हंसदेवाचार्य उदारमना संत थे। भले ही वे आज स्थूल रूप से संसार में मौजूद नहीं है। लेकिन उनकी कृपा भक्तों को सदैव प्राप्त होती रहेगी। धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। समारोह का संचालन डा.स्वामी हरिहरानन्द महाराज ने किया।

इस दौरान संत समाज ने निर्मल अखाड़े में कब्जे के प्रयास की निंदा करते हुए इसे चिंताजनक बताया और एकजुटता का आह्वान किया। साथ ही असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानन्द गिरी, महंत सूरजदास, महंत गोविंद दास, स्वामी कृष्णानन्द, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी अनंतानंद, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी हरिचेतनानंद, पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, आश्रम के ट्रस्टी ओमभाई प्रजापति, महंत विनोद महाराज, स्वामी पूर्णानंद, साध्वी रमा योगी, साध्वी सुधा योगी, महंत जमनादास सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूषों ने साकेतवासी संतों को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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