तनवीर
हरिद्वार, 16 मई। अली मस्जिद के इमाम व मदरसा जामिया मखदूमियां शमसुल इस्लाम के प्रबंधक मुफ्ती शाहनवाज अमजदी ने रोजेदारों को ताकीद करते हुए बताया कि अल्लाह के नबी पैगम्बर मौहम्मद साहब ने फरमाया है कि सदके फितर को मुकरर्र फरमाया ताकि गलत और बेहुदा बातों से रोजा की तहारत हो जाए और मसाकीन की खुराक भी हो जाए। उन्होंने फरमाया कि जब तक सदकाए ऐ फितर अदा ना कर दिया जाए बन्दा ऐ मोमिन का रोजा आसमान व जमीन के दरम्यान झूलता रहता है। सदकाए फितर हर मुसलमान आजाद मालिके नीसाब पर जिसकी निसाब अपनी जरूरत के अलावा हो। उस पर सदकाए फितर वाजिब है।
इसका सबूत अल्लाह के नबी पैगम्बर मौहम्मद साहब की हदीस से है और ये शरीयत कयामत तक के लिए है। लिहाजा यदि कोई संकट माहौल में सदकाए फितर की माफी की बात करे तो उस पर ध्यान ना दिया जाए। क्योंकि सदकाए फितर वाजिब है। मुफ्ती शाहनवाज अमजदी ने कहा कि सदकाए फितर ईद की नमाज से पहले अदा किया जाना चाहिए। सदकाए फितर वाजिब होने के लिए रोजे की कोई शर्त नही है।
किसी परेशानी, सफर, बीमारी या बुढ़ापे की कमजोरी वजह से रोजा ना रख पाने पर भी सदकाए फितर अदा करना वाजिब है। उन्होंने कहा कि देश संकटों से गुजर रहा है। पिछले लगभग डेढ़ महीने देश में लाॅकडाउन है। ऐसे में लाॅकडाउन का पालन करते हुए लोग नमाज, सहरी व इफ्तारी अपने घरों में ही कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज के धनवान तबके को गरीबों, यतीमों, बेवाओं की मदद करनी चाहिए। धनवानों को सदका व जकात जल्द से जल्द गरीबों, यतीमों, बेवाओं को पहुंचानी चाहिए। सदका व जकात में पर्याप्त सामान गरीबों तक पहुंचाए। जिससे गरीब मिसकीनों की मदद हो सके।