प्रदेश सरकार की नीतियों के चलते सभी वर्ग प्रभावित-मनीष कर्णवाल

Haridwar News
Spread the love

अमरीश

हरिद्वार, 22 मई। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता मनीष कर्णवाल ने कहा है कि पहले से ही बीमार पड़ी उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था अब और बुरी स्थिति की और बढ़ रही है। दिशाहीन प्रदेश सरकार की नीतियों के कारण सभी वर्ग प्रभावित है। प्रैस को जारी बयान में मनीष कर्णवाल ने कहा कि नोटबन्दी व जीएसटी के कुप्रभावों से बेखबर रही सरकार अब कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था पर पड़े जबरदस्त विपरीत प्रभावों से भी बेपरवाह है । राज्य मे शिक्षित बेरोजगारों की संख्या कम और नियंत्रित करने की ठोस योजना नही होने के कारण लगभग 8 लाख पंजीकृत बेरोजगार है। बाहरी राज्यों से काम छूटने के कारण लगभग 2 लाख और लोग वापस आ रहे है। निम्न वर्ग, निम्न मध्यवर्ग एवम मध्यवर्ग सरकार के एजेंडे मे नही है। असंगठित क्षेत्र मे काम करने वाले मजदूर तबके के पास आज भर पेट रोटी तक नही है। लॉकडाउन के कारण गरीब मजदूर, किसान, फुटकर व्यपारी, रेहड़ी-ठेली और रिक्शा टेंपो चालक, वाहन मिस्त्रीं और फेरी वालो पर पड़ रही मार पर विचार ही नही किया गया। सबसे बड़े उपभोक्ता वर्ग की जेब खाली है। जिससे व्यसपार ठप्प हो चुका है। अभी तक विभिन्न विभागों के माध्यम से संकट काल के लिए योजनायें आई है वे सीमित व कुछ लोगो को ही लाभ पहुंचाती दिख रही है।

    कर्णवाल ने कहा कि सरकार की दिशाहीन आर्थिक नीतियों का ही परिणाम है कि कर्मचारियों और मंत्रियों के वेतन भत्तों और पेंशन देने तथा कर्जो का ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज लिया जा रहा है। 15 वंे वित्त आयोग से कुछ धनराशि मिलते ही बंदरबांट की तैयारियां कर ली गई है। संभावना वाले क्षेत्रो मे पूंजीगत योजनाओं पर काम करने की सुध नही है। यह क्षेत्र राजस्व और रोजगार सृजन की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हो सकते है। सरकार ने कर्मचारियों व पेंशनर्स के तो महगाई भत्ते तो फ्रिज कर दिए, लेकिन दायित्वधारियों पर हो रहे अनुत्पादक खर्चो पर कोई कटौती नही की गई है।

      विगत दिनों आंधी और ओलावृष्टि के कारण उद्यानों व फसलों को भारी क्षति हो चुकी है। इन नगदी फसलों के बर्बाद हो जाने से किसानों व बागवानों के आँसू पोंछने के लिए सरकार के पास समय ही नही है। एक माह से ज्यादा बीत जाने के बाद भी तात्कालिक मदद तक नही पहुचायी गई। केंद्र ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए विशेष पैकेज मे प्रावधान का दावा किया है। मधुमक्खी एवम मत्स्य पालन जैसी गतिविधियां भी इसमे शामिल है। सरकार को पता ही नही जब बाग और पुष्प उद्यान ही नही बचे है तो मधुमक्खी पालन की योजना पर क्या प्रभाव पड़ा होगा।

   सरकार ने लॉकडाउन अवधि का शराब कारोबारियों को टैक्स मे करोड़ो की माफी दे दी, लेकिन लघु व्यसपारियो, किसानों मेहनतकश मजदूरों,पर्यटन से जुड़े तमाम श्रमिको आदि को कोई राहत पैकेज नही मिला।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *