अखाड़ा परिषद पदाधिकारियों ने प्रयागराज में होने वाली बैठक को औचित्यहीन करार दिया

Haridwar News
Spread the love

तनवीर


महंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ही हैं निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी
अखाड़ा परिषद कार्यकारिणी का गठन पूरी तरह वैध है-श्रीमहंत राजेंद्रदास

हरिद्वार, 23 अक्टूबर। प्रयागराज में 25 अक्टूबर को होने वाली अखाड़ा परिषद की बैठक को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नवनियुक्त पदाधिकारियों ने फर्जी व औचित्यहीन करार दिया है। कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में आहूत संतों की बैठक में निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष श्री महंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि प्रयागराज में होने वाली संतो की बैठक में निर्मल अखाड़ा किसी भी रुप से सम्मिलित नहीं होगा। निर्मल अखाड़ा नवनियुक्त अखाड़ा परिषद को अपना समर्थन दे चुका है।

कुछ लोग फर्जी तरीके से निर्मल अखाड़े के संबंध में दुष्प्रचार कर बैठक आयोजन की बात कर रहे हैं। उन लोगों पहले यह बताना चाहिए कि यदि रेशम सिंह निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष है, तो हाल ही मे हरिद्वार में संपन्न हुए कुंभ मेले में वह कहां थे और अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज के ब्रह्मलीन हो जाने के बाद इन्हीं संतो ने निर्मल अखाड़े के सचिव देवेंद्र सिंह शास्त्री महाराज को कार्यवाहक अध्यक्ष का पदभार क्यों सौंपा। उन्होंने कहा कि समाज को गुमराह कर ऐसी बैठक का आयोजन करना सरासर संतों की मर्यादा के खिलाफ है।

असामाजिक तत्वों को संत के रूप में बैठक में शामिल किया जाना न्याय संगत नहीं है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि कुछ संतो द्वारा निर्मल अखाड़े के दो फाड़ होने का भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। जोकि सरासर गलत है। निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ही हैं। जिनके सानिध्य में हरिद्वार कुंभ मेले का भव्य रुप से आयोजन हुआ है और मुख्यमंत्री से लेकर प्रत्येक अधिकारी एवं उच्च अधिकारी को ज्ञात है कि निर्मल अखाड़े के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज और अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज हैं।

उन्होंने कहा कि जो लोग स्वयं को निर्मल अखाड़े का महंत या पदाधिकारी बता रहे हैं उन पर पहले ही कनखल थाने में धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं। ऐसे लोगों का कार्य मात्र छल कपट से लोगों को भ्रमित करना है। उन्होंने कहा कि किसी भी अखाड़े को दूसरे अखाड़े के मामले में हस्तक्षेप और दो भागों में बांटने का कार्य नहीं करना चाहिए। पूरा संत समाज एक हैं। केवल वैचारिक मतभेद किसी भी अखाड़े में हो सकते हैं।

श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि प्रेम सिंह भूरीवाले ने कुछ असामाजिक तत्वों के साथ अखाड़े की एक्कड़ कलां शाखा पर कब्जा करने का प्रयास किया था। लेकिन वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए थे और उन्हें उल्टे पैर भागना पड़ा था। ऐसे असामाजिक तत्वों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। निर्मल अखाड़ा ऐसे लोगों का पहले ही बहिष्कार कर चुका है। साथ ही जो संत उनका साथ दे रहे हैं। वह भी फर्जी तरीके से पद की लालसा में समाज को भ्रमित कर रहे हैं।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की नई कार्यकारिणी का गठन हो चुका है। जिससे कुछ लोगों की महत्वकांक्षाएं पूरी नहीं हो पायी। इसलिए वह फर्जी बैठक कर प्रशासन और शासन को गुमराह करना चाह रहे हैं। लेकिन सच्चाई सर्व समाज को ज्ञात है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग अपने मंसूबों में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि पद प्रतिष्ठा की लालसा में कुछ संत अमर्यादित कार्य कर रहे हैं।

अखाड़ा परिषद की नई कार्यकारिणी का गठन पूर्ण रूप से वैध है। परिषद के गठन से कुछ संतों के अरमानों पर पानी फिर गया है। इसलिए वह बार-बार परिषद का विरोध कर रहे हैं। लेकिन समस्त संत समाज और चारों संप्रदाय के समर्थन से ही नई अखाड़ा परिषद की नयी कार्यकारिणी का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि सभी संत आपस में एक हैं। केवल विचारों का मतभेद है। किसी भी संत पर कोई दुविधा ना आए इसके लिए अखाड़ा परिषद हमेशा तत्पर है और राष्ट्रीय एकता अखंडता बनाए रखने के लिए सभी को एक मंच पर लाने का कार्य करेगी।

इस दौरान श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदरदास, महंत खेम सिंह, संत हरजोत सिंह, महंत निर्भय सिंह, संत सिमरन सिंह, संत जसकरण सिंह, संत तलविंदर सिंह, ज्ञानी जैल सिंह, संत मनप्रीत सिंह, संत जनरल सिंह, संत सुखमन सिंह, समाजसेवी देवेंद्र सिंह सोढ़ी आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *