अमरीश
हरिद्वार, 17 फरवरी। कनखल स्थित श्री दरिद्र भंजन महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा सुनाते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पितृ दोष के कारण अनेकों प्रकार के कष्ट एवं संकटों का सामना करना पड़ता है। श्रीमद्भागवत कथा के प्रभाव से पितृ दोष भी दूर हो जाते हैं। शास्त्री ने बताया कि आयु पूरी होने से पूर्व ही दुघर्टना या बीमारी आदि के चलते मृत्यु होने को अकाल मृत्यु कहा गया है। आत्मा का परमात्मा से मिलन न होने के कारण वह भटकती है और दुख एवं पितृ दोष का कारण बनती है।
शास्त्री ने बताया कि सात्विक आत्मा किसी को कोई हानि नहीं पहुंचाती है। राजस आत्मा देवी देवताओं का स्वरूप लेकर स्वयं को पूजवाने का काम करती है एवं तमस आत्मा दूसरों के शरीर में प्रवेश कर कष्ट पहुंचाती है। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण में धुंधकारी का चरित्र आता है। धुंधकारी मरने के बाद प्रेत योनि में चल जाता है तो उसके भाई गोकर्ण द्वारा प्रेत योनि से उसकी मुक्ति के लिए भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा के प्रभाव से धुंधकारी को मोक्ष प्राप्त हुआ। शास्त्री ने बताया यदि मनुष्य जन्म मिला है और भगवान की कृपा से समर्थ है तो अपने पितरों के उद्धार के लिए एवं अपने उद्धार के लिए श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन अवश्य करना चाहिए।
मुख्य जजमान चंद्र प्रकाश गुप्ता, राजेश गुप्ता, शैलेश गुप्ता, दिनेश गुप्ता, डीके गुप्ता, मुकेश गुप्ता, अमन गुप्ता, पूजा गुप्ता, प्रियांशु गुप्ता, रुद्र गुप्ता, खुशी गुप्ता, कृष्ण कुमार शर्मा, नीरज कुमार शर्मा, रिचा शर्मा, सीमा गुप्ता, कुसुम गुप्ता, कुणाल गुप्ता आदि ने भागवत पूजन किया।