कर्मो के फलस्वरूप ही सुख और दुख भोगता है मनुष्य-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Dharm
Spread the love

अमरीश


हरिद्वार, 12 मार्च। आर्यनगर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि मनुष्य अपने कर्मों के फलस्वरूप ही स्वर्ग एवं नरक और सुख एवं दुख भोगता है। कर्म ही हमारे भाग्य का निर्धारत करते हैं। शास्त्री ने बताया बाणों की शैय्या पर लेटे भीष्म पितामह भगवान श्री कृष्णा पूछा कि उन्हें अपने सौ जन्मों का स्मरण है। उन्होंने कोई भी पाप कर्म नहीं किया। फिर मुझे यह बाणों की शैय्या क्यों मिली। तब भगवान कृष्ण ने कहा कि आपको सौ जन्मों का तो स्मरण है। परंतु उससे पूर्व जन्म का आपको स्मरण नहीं है। उससे पूर्व आपने एक टिडी नामक कीड़े को कांटा लगा कर झाड़ियों में कांटों में फेंक दिया था ।

उसी के परिणामस्वरूप आज आपको बाणों की शैय्या प्राप्त हो रही है। यह आपका संचित कर्म है। जो प्रारब्ध के रूप में आज आपको भोगना पड़ रहा है। मनुष्य के किए गए कर्म बिना फल दिए, बिना भोगे कभी समाप्त नहीं होते हैं। मनुष्य यदि दुख भोग रहा है तो समझ लेना चाहिए कि उसका पाप कर्म नष्ट हो रहा है। यदि मनुष्य सुख भोगता है तो समझ लेना चाहिए कि उसका पुण्य कर्म समाप्त हो रहा है। सुख एवं दुख पाप कर्म एवं पुण्य कर्म के द्वारा ही मनुष्य को प्राप्त होते हैं। इसलिए मनुष्य को सदा पुण्य कर्म करते रहना चाहिए। इस अवसर पर मुख्य जजमान संध्या गुप्ता, प्रवीण गुप्ता, वसुधा गुप्ता, तुषार सिंघल, वन्या सिंघल, युवान सिंघल, विष्णु प्रसाद सरार्फ, उपेंद्र कुमार गुप्ता, प्रमोद कुमार गुप्ता, शशिकांत गुप्ता, अमित गुप्ता, अश्विनी गुप्ता, राजीव लोचन गुप्ता, कुणाल गौतम, वरुण सैनी, भावेश पंडित आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *