नारायण के आदेश पर ब्रह्मा ने किया सृष्टि का विस्तार-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Haridwar News
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अमरीश


हरिद्वार, 18 दिसम्बर। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में स्वागत बैंकट हॉल आर्य नगर,ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने श्रद्धालु भक्तों को कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग एवं कलयुग बीतने के बाद महाप्रलय होती है। पूरी पृथ्वी जलमग्न हो जाती है। जल के भीतर शयन कर रहे भगवान नारायण जब निंद्रा से जागते हैं तो चारों और जल ही जल दिखाई देता है, तो भगवान नारायण के मन में एक से अनेक होने की इच्छा जागृत होती है और भगवान नारायण के संकल्प से भगवान नारायण की नाभि से कमल पुष्प प्रकट होता है।

कमल पुष्प के ऊपर चतुर्मुखी ब्रह्मा का प्राकट्य होता है। ब्रह्मा जी चारों और जल ही जल देख तपस्या करने बैठ गए। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान नारायण ने ब्रह्मा को कहा कि मैंने आपको बनाया है। आप सृष्टि का विस्तार करो। तब ब्रह्मा ने अपने संकल्प से सर्वप्रथम संकादिक चार ऋषियों को उत्पन्न किया। उसके बाद उन्होंने मानसिक सृष्टि करते हुए भगवान रुद्र के साथ ही साथ साथ कर्दम इत्यादि ऋषियों को उत्पन्न किया। दक्ष एवं नारद को भी ब्रह्मा ने अपने संकल्प से उत्पन्न किया। जब सृष्टि का विस्तार हो रहा था, तब ब्रह्मा ने सर्वप्रथम मनु एवं सतरूपा को उत्पन्न किया। मनु एवं सतरूपा के द्वारा ही मनुष्यों की सृष्टि आगे बढ़ी।

शास्त्री ने बताया मनु महाराज की आकूति, देवहूति एवं प्रसूति तीन कन्याओं का वर्णन भागवत में सर्वप्रथम आता है। सबसे बड़ी बिटिया देवहूति का विवाह कर्दम मुनि के साथ संपन्न होता है। कर्दम मुनि की नौ कन्याओं का विवाह नौ ऋषियों के साथ संपन्न होने के बाद कर्दम मुनि के यहां भगवान कपिल देव का जन्म होता है। कपिल देव ने अपनी मां देवहूति को नवधा भक्ति का ज्ञान दिया है। शास्त्री ने बताया जिसके अंदर भक्ति होती है। वह भक्ति के माध्यम से आत्म शांति को प्राप्त कर सुखी जीवन व्यतीत करता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आत्मा की शांति के लिए एवं अपने सुखी जीवन के लिए ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। शास्त्री ने शिव एवं सती का चरित्र श्रवण कराते हुए कहा कि भगवान शिव कालों के काल महाकाल है।ं जो भक्त सच्ची श्रद्धा भक्ति के साथ भगवान शिव का पूजन करता है।

भगवान शिव उसकी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते है। कथा में मुख्य जजमान योगेश कौशिक, सुनीता कौशिक, विश्वेश्वर दयाल शर्मा, परमेश कौशिक, अविनेश कौशिक, समर्थ कौशिक, सुशांत कालिया, यामिनी कालिया, निशांत कौशिक, तुषार कौशिक, प्रशांत कौशिक ने भागवत पूजन कर कथा व्यास से आशीर्वाद प्राप्त किया।

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