भक्ति की कोई उम्र नहीं होती-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 4 अप्रैल। रामनगर कालोनी स्थित श्री राधा रसिक बिहारी मंदिर रामनगर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने ध्रुव एवं प्रहलाद चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि भक्ति की कोई उम्र नहीं होती है। पांच वर्ष का बालक ध्रुव जब अपने पिता महाराज उत्तानपाद की गोद में बैठने लगा तो उसकी सौतेली मां महारानी सुरुचि ने बालक ध्रुव को पिता की गोद में बैठने से रोक दिया और कहा कि तपस्या कर और भगवान के वरदान से मेरे गृभ से जन्म लेने के बाद ही पिता की गोद में सकते हो।

सौतेली मां के वचनों को सुनकर बालक ध्रुव घर छोड़ कर वृंदावन की पावन भूमि पर पहुंच गया और कठोर साधना करने लगा। उसकी साधना से प्रसन्न होकर भगवान नारायण ने उसे अपनी गोद में बैठा कर स्नेह करते हुए आशीर्वाद दिया कि तीस हजार वर्ष तक तुम राज सिंहासन पर बैठोगे और उसके बाद सशरीर ध्रुव पद को प्राप्त हो जाओगे। शास्त्री ने बताया वह पांच वर्ष का बालक आज ध्रुवतारे के रूप में चमक रहा है। इसी प्रकार भागवत में प्रहलाद का चरित्र आता है। प्रहलाद का जन्म राक्षस कुल में हुआ था। परंतु प्रहलाद जन्म से ही भगवान की अनन्य भक्ति करते हैं।

प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यपु ने प्रहलाद को मारने के लिए अनेकों उपाय किए। परंतु भगवान नारायण ने प्रहलाद का बाल भी बांका होने नहीं दिया और स्वयं खंभे में से नरसिंह बनकर प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप ु का संहार किया।
इस अवसर पर कथा में मुख्य यजमान सुमन चैहान, रोजी अरोड़ा, कोमल शर्मा, गौरव शर्मा, संजीव चैहान, बंटी अरोड़ा, नेहा जोशी, दीप्ति भारद्वाज, मनोज भारद्वाज, अखिलेश भारद्वाज, सुनीता भारद्वाज, बीना शर्मा, हरि नारायण शर्मा, कल्पना ठाकुर, बॉबी कनक ठाकुर, रीना जोशी, कमलेश अरोड़ा, रोजी अरोड़ा, अनु शर्मा, रिंकू शर्मा, मोनिका विश्नोई, कल्पना शर्मा, जूही शर्मा, शिक्षा राणा, शीतल मलिक, रश्मि गोस्वामी, शिमला उपाध्याय, राजू, रिंकी भट्ट, संध्या भट्ट, विमल भट्ट, पुष्पा सेठ, मुखारी देवी आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।

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