तुलसी शालिग्राम विवाह की कथा का श्रवण कराया

Dharm
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अमरीश


तुलसी शालिग्राम विवाह से मिलता है अश्वमेघ यज्ञ का फल-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री
हरिद्वार, 18 जून। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वाधान में भारतमाता पुरम भूपतवाला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने तुलसी एवं शालिग्राम भगवान विवाह की कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि शंखचूड़ नामक असुर के अत्याचारों से ऋषि मुनि, देवता और भक्त सभी दुखी थे। सभी ने भगवान शिव से शंखचूड़ का संहार करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने कहा कि शंखचूड़ की पत्नी तुलसी पतिव्रता है। जिसके कारण उसे मारना संभव नहीं है। भगवान नारायण ही इसका कुछ उपाय कर सकते हैं। इस पर सभी ने भगवान नारायण की स्तुति की। भगवान नारायण ने भगवान शिव से कहा कि आप शंखचूड़ के साथ युद्ध कीजिए। इधर भगवान शिव एवं शंखचूड़ का युद्ध प्रारंभ हुआ।

उधर भगवान नारायण शंखचूड़ का ही रूप धारण करके तुलसी के पास पहुंचे और रात्रि विश्राम किया। जिससे तुलसी का पतिव्रत भंग हो गया और भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध कर दिया। तुलसी को जब इस बात का पता चला तो तुलसी ने भगवान नारायण को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। श्राप को स्वीकार करते हुए नारायण ने तुलसी को वरदान दिया कि तुम्हारे केश तुलसी के पौधे के रूप में एवं तुम्हारा शरीर गंडकी नदी के रूप में प्रणीत होगा और तुम्हारे श्राप के अनुसार शालिग्राम के रूप में गंडकी नदी में हमेशा निवास करूंगा और बिना तुलसी दल के कुछ भी स्वीकार नहीं करूंगा। आज के दिन तुलसी एवं शालिग्राम का विवाह महोत्सव धूमधाम के साथ मनाएगा उसको अश्वमेध यज्ञ का फल प्रदान करूंगा।

शास्त्री ने बताया तभी से देव उठानी एकादशी के पावन अवसर पर भक्त धूमधाम के साथ तुलसी एवं शालिग्राम का विवाह महोत्सव मनाते हैं। इस अवसर पर मुख्य यजमान रामदेवी गुप्ता, रामकुमार गुप्ता, रजनी कुरेले, राजीव कुरेले, रागनी गुप्ता, दीपक गुप्ता, नेहा गुप्ता, सुधीर गुप्ता, कल्पना गुप्ता, अजय गुप्ता, निम्मी गुप्ता, विजय गुप्ता, पुष्पा देवी कुरेले, अशोक कुरेले, शालिग्राम गुप्ता, रामकुमारी गुप्ता, संजीव कुमार गुप्ता, अंकिता गुप्ता, हरिमोहन बडोनिया, गीता बडोनिया, मुकुंदीलाल गुप्ता, मुनिदेवी गुप्ता, धर्मेंद्र गुप्ता, गायत्री गुप्ता, सुरेंद्र बल्यिया, सुनीता बल्यिया, पंडित प्रकाशचंद्र जोशी, पंडित मनोज कोठियाल आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।

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