मनुष्य के प्रथम गुरू हैं माता पिता-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 28 जून। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वाधान में माता का डेरा ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि बिना गुरु के ना तो गति होती है ना ही ज्ञान प्राप्त होता है। इसलिए मनुष्य को गुरु की शरण में जाना चाहिए। शास्त्री ने बताया कि मनुष्य के प्रथम गुरु माता पिता हैं। माता-पिता से ही बच्चों को संस्कार मिलते हैं। माता-पिता के बाद शिक्षा गुरु आते हैं, जिनसे अच्छी शिक्षाएं मिलती हैं और फिर आते हैं दीक्षा गुरु जिनसे प्राप्त मंत्र का जाप कर हम अपना कल्याण कर सकते हैं।

सद्गुरु अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर असत्य से सत्य की ओर एवं मृत्यु से अमृत की ओर ले जाते हैं। सप्तम दिवस की कथा में कथा व्यास ने द्वारिकाधीश के सोलह हजार एक सौ आठ विवाह का वर्णन, सुदामा जी चरित्र एवं दत्तात्रेय के 24 गुरुओं की कथा भी सुनायी। इस अवसर पर मुख्य यजमान कमलेश मदान, राकेश नागपाल, मुकेश चावला, अमित गेरा, संजय सचदेवा, दीपक बजाज, नीरू, रीना, भावना, लक्की, कविता, मंजू, कमल, कनिका, सुषमा, कविता, रेणु आशा, जिज्ञांशा, ऋषभ, आयुषा, ललिता गेरा, बाला शर्मा, दर्शना छाबरा, आचार्य महेशचंद्र जोशी, पंडित रामचंद्र तिवारी, पंडित गणेश कोठारी, नरेश मनचंदा, राजू मनचंदा आदि श्रद्धालुओं ने भागवत पूजन किया।

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