वज्र के समान कठोर हो जाता है तीर्थ पर किया गया पाप कर्म-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 10 अगस्त। केसरी मरहम बनाने वाले बी.सी.हासाराम एंड संस द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान श्रद्धालुओं को दूसरे दिन की कथा श्रवण कराते हुए श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के संस्थापक भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि जो लोग तीर्थों में पाप कर्म करते हैं उनका बाप वज्र के समान हो जाता है और अनेकों अनेकों जन्मों तक नरक यातना भोगनी पड़ती है। शास्त्री ने कहा कि मनुष्य योनि में जन्म लेने के उपरांत मन, वाणी एवं कर्म से मनुष्य जाने अनजाने में पाप कर्म कर बैठता है।

इसकी निवृत्ति तीर्थों पर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने, दान पुण्य करने से हो जाती है। परंतु जो लोग तीर्थों पर जाकर भी पाप कर्म करते हैं। उनका पाप वज्र के समान कठोर हो जाता है एवं अनेकों अनेकों जन्मों तक नरक यातना भोगनी पड़ सकती है। कथा के माध्यम से शास्त्री ने बताया कि तीर्थ स्थलों पर ज्यादा से ज्यादा पुण्य कर्म कीजिए। लेकिन कदापि भूल कर भी पाप कर्म न करें। तीर्थ स्थल पर भूमि पर शयन करना चाहिए। स्नान कर यज्ञ करें। यज्ञ के उपरांत दान पुण्य करने से ही तीर्थ यात्रा का फल प्राप्त होता है। मुख्य जजमान किरण चंदनानी, राधा कृष्ण चंदनानी, ग्रीष्मा चंदनानी, पंडित गणेश कोठारी, पंडित जगदीश प्रसाद कंदूरी, पंडित विष्णु शर्मा, यशोदा प्रसाद आदि ने भागवत पूजन किया।

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