बिना गुरु के ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Dharm
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अमरीश


हरिद्वार, 2 सितम्बर। श्री दरिद्र भंजन महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस की कथा सुनाते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि बिना गुरु के गति नहीं होती है और बिना गुरु के ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है। इसलिए मनुष्य को जीवन में गुरु की शरण में जाना चाहिए। शास्त्री ने बताया कि मनुष्य के प्रथम गुरु माता पिता है।ं माता-पिता से ही बच्चों को संस्कार मिलते हैं। माता-पिता के बाद शिक्षा गुरु हैं। जिनसे हमें अच्छी-अच्छी शिक्षाएं मिलती हैं और फिर आता है दीक्षा गुरू।

जिनसे मंत्र प्राप्त कर मंत्र जाप के द्वारा हम अपना अध्यात्म कल्याण कर सकते हैं। सद्गुरु ही हमें असत्य से सत्य की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर एवं मृत्यु से अमृत की ओर लेकर जाते है। गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान से हमारे भीतर का अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में गुरु धारण करना चाहिए। शास्त्री ने बताया कि स्त्री के लिए उसका पति ही उसका गुरु है। पत्नी अपने पति से मंत्र प्राप्त करके उसका जाप करें। तभी जाकर उसका अध्यात्म कल्याण हो सकता है। स्त्री के लिए पर पुरुष का चिंतन एवं ध्यान शास्त्रों में अपराध बताया गया है।

इस अवसर पर इस अवसर पर पंडित उमाशंकर पांडे, पंडित हरीश चंद्र भट्ट, पंडित कृष्ण कुमार शास्त्री, पंडित रमेश गोनियाल, पंडित राजेन्द्र पोखरियाल, पंडित निराज कोठारी, पंडित कैलाश चंद्र पोखरियाल, पंडित बचीराम मंडवाल, केशवानंद भट्ट, अजय शर्मा, मोहित शर्मा, शिवम प्रजापति, राहुल धीमान, सागर धवन, पंडित गणेश कोठारी, पवन तनेजा, रिचा शर्मा, किरण देवी, अनसुल धवन, बबली शर्मा, गीता चैहान आदि मौजूद रहे।

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