‘संकल्प,सेवा-समर्पण है संघ का स्वभाव’-पदम् सिंह

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राहत अंसारी


हरिद्वार, 15 अप्रैल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने कुम्भ में यातायात व्यवस्था में पुलिस का सहयोग कर संघ के स्वभाव का परिचय दिया है। संघ की शाखाओं में सिखाये जाने वाले व्यक्ति निर्माण की परिभाषा को संघ कार्यकर्ताओं ने चरित्रार्थ किया है। यह विचार आरएसएस के क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम सिंह ने यातायात व्यवस्था के समापन अवसर पर व्यक्त किये। हरकी पौड़ी पर गंगा स्नान से पूर्व समापन कार्यक्रम में आरएसएस प्रचारक पदम सिंह ने कहा कि जिन्हें संघ को समझना है उनके लिए यह अच्छा मौका है

संघ के स्वयंसेवकों के आचरण व व्यवहार से संघ को समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि संघ का स्वयंसेवक खुद की प्रेरणा से सेवा कार्य मे जुटता है। कार्यकर्ताओं में देश, समाज, धर्म के प्रति कर्तव्य की भावना स्वयं से जाग्रत होती है।
उन्होंने कहा कि स्वयं सेवको ने कुंभ यातायात व्यवस्था में लगने से पहले मां गंगा को साक्षी मानकर सेवा का जो संकल्प लिया था वह आज पूर्ण हुआ है। उन्होंने कहा कि कड़ी धूप में अपने प्वाइंटों पर 12-12 घंटे की ड्यूटी देकर कार्यकर्ताओं ने संयम अनुशासन के साथ अपने कर्तव्य को प्रदर्शित किया है। वह समाज पर गहरी छाप छोड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि जहां कुंभ मेले में पुलिस के साथ अर्ध सैनिक बल व्यवस्था में लगे थे।

वही कंधे से कंधा मिलाकर स्वयंसेवक अपना संकल्प निभा रहे थे। कार्यकर्ताओं की लगन व मेहनत को देखकर समाज के हर वर्ग ने प्रशंसा की। इस मौके पर श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष पंडित प्रदीप झा ने स्वयंसेवकों के सेवा कार्य की सराहना करते हुए कहा कि सेवा का कोई मौल नही होता है। संघ में जाति, धर्म की बाध्यता को न मानते हुए जो सेवा का कार्य किया जाता है। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। प्राचीन अवधूत मण्डल के महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने भी स्वंयसेवियों को सम्बोधित किया। इससे पूर्व स्वयंसेवक मायापुर सरस्वती विद्या मंदिर से पथ संचलन करते हुए हरकी पौड़ी पहुचे।

इस मौके पर प्रांत शारीरिक शिक्षण प्रमुख सुनील तिवारी, नैनीताल विभाग प्रचारक नरेंद्र कुमार, पौड़ी विभाग प्रचारक चन्द्रशेखर, प्रचारक प्रभात मदन, नगर संघ संचालक डा.यतीन्द्र नागयन, जिला प्रचारक अमित कुमार, जिला कार्यवाह अंकित सैनी, संजय कुमार, अनिल गुप्ता, अमित शर्मा, प्रवीण शर्मा, दीपक भारती आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।

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