हिंगलाज माता मंदिर तोड़ने पर संत समाज ने पाकिस्तान के प्रति जताया रोषन

Dharm
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राकेश वालिया


पाकिस्तान का आतंकवादी चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ-स्वामी ऋषिश्वरानंद
हरिद्वार, 25 नवम्बर। पाकिस्तान स्थित हिंगलाज माता मंदिर तोड़े जाने पर संतों ने कड़ा विरोध् जताते हुए केंद्र सरकार से इस मामले को वैश्विक मंचों पर उठाने पर मंदिर के पुनर्निमाण की मांग की है। चंडीघाट स्थित गौरीशंकर गौशाला में पत्रकारों से वार्ता करते हुए श्री चेतन ज्योति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि माता हिंगलाज भवानी मंदिर तोड़ने के साथ पाकिस्तान ने शारदा पीठ पर भी हमला किया है। जिससे पाकिस्तान का आतंकवादी चेहरा एक बार फिर पूरे विश्व के सामने आ गया है। पाकिस्तान के इस कृत्य को कतई सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सहित सभी विश्व मंचों पर उठाए। बाबा हठयोगी ने कहा कि पाकिस्तान सरकार का यह कृत्य किसी भी तरह से क्षमा योग्य नहीं है। हिंगलाज माता भवानी मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है। जो कि बटवारे के बाद पाकिस्तान में रह गया था।

एक दिव्य शक्ति पीठ को तोड़कर पाकिस्तान ने अपने विनाश को आमंत्रण दिया है। गंभीर परिणाम होंगे। अपने इस दुष्कृत्य के परिणाम पाकिस्तान को भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को मंदिर का पुनर्निमाण कर अपने दृष्कृत्य का प्रायश्चित करना चाहिए। महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज ने कहा कि पौराणिक हिंगलाज माता मंदिर को बलपूर्वक तोड़कर पाकिस्तान ने अपनी आतंकवादी मानसिकता का परिचय दिया है। समस्त सनातन जगत और संत समाज पाकिस्तान के इस कृत्य की घोर निंदा करता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में हस्तक्षेप कर पाकिस्तान पर मंदिर का पुनर्निमाण करने का दबाव डालना चाहिए।

स्वामी रविदेव शास्त्री व गंगा गौधाम सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत निर्मलदास महाराज ने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने माता हिंगलाज के प्राचीन मंदिर को तोड़कर अपने मानसिक दिवालिएपन का परिचय दिया है। पाकिस्तान सरकार का यह कृत्य उसके पतन का कारण बनेगा। स्वामी शिवानंद भारती, स्वामी हरिहरानंद, महंत जसविन्दर सिंह, महंत राघवेंद्र दास, महंत गोविंददास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत कपिल मुनि, महंत दिनेश दास, महंत सूरजदास, महंत रघुवीर दास, महंत हरिदास, रमणीक सिंह आदि संतों ने भी पाकिस्तान सरकार की निंदा की।

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