पुण्य तिथी पर संत समाज ने किया ब्रह्मलीन महंत दर्शन सिंह त्यागमूर्ति महाराज को नमन

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राकेश वालिया


सेवा और संस्कारों की प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन महंत दर्शन सिंह त्यागमूर्ति-श्रीमहंत रविंद्रपुरी
हरिद्वार, 14 फरवरी। देवपुरा चैक स्थित देवपुरा आश्रम के महंत गुरमीत सिंह के संयोजन में बसंत पंचमी समागम एवं ब्रह्मलीन महंत दर्शन सिंह त्याग मूर्ति महाराज की चैथी पुण्य तिथी समारोह पूर्वक मनायी गयी। इस दौरान गुरूद्वारे में अखण्ड पाठ का आयोजन किया गया और सभी तेरह अखाड़ों के संतों ने ब्रह्मलीन महंत दर्शन सिंह त्याग मूर्ति महाराज के धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में योगदान का स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि संत महापुरूष केवल देह का त्याग करते हैं।

उनकी आत्मा सदैव समाज का मार्गदर्शन करती है। ब्रह्मलीन महंत दर्शन सिंह त्याग मूर्ति सेवा और संस्कारों की प्रतिमूर्ति थे। समाज की सेवा और धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल केे अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत दर्शन सिंह त्यागमूर्ति महाराज विद्वान और तपस्वी संत थे। समाज को दिशा देने और विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से जरूरतमंदों की सेवा में उनका अहम योगदान रहा। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए सेवा कार्यो में योगदान करने का संकल्प लेना चाहिए।

देवपुरा आश्रम के महंत गुरमीत सिंह ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन महंत दर्शन सिंह त्यागमूर्ति महाराज से प्राप्त शिक्षा और संस्कारों का पालन करते हुए आश्रम की सेवा संस्कृति को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत दर्शन सिंह त्यागमूर्ति महाराज सरल व मधुरभाषी संत थे। उन्होंने सदैव दीन दुखियों की सेवा में योगदान किया। गरीब परिवारों की कन्याओं के विवाह कराए। उनके बताए मार्ग पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। कार्यक्रम का संचालन स्वामी रविदेव शास्त्री ने किया।

इस अवसर पर गंौ गंगा सेवा धाम के अध्यक्ष स्वामी निर्मल दास, स्वामी अनंतानंद, महंत कपिल मुनि, महंत जसविन्दर सिंह, महंत प्यारा सिंह, बाबा हठयोगी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत गोविंद दास, महंत राघवेंद्र दास, महंत जमनादास, महंत सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी कृष्णानंद, भक्त दुर्गादास, स्वामी दिनेश दास, महंत निर्भय सिंह, महंत रघुवीर दास, स्वामी प्रेमानंद, महंत बिहारी शरण, महंत जयराम दास सहित बड़ी संख्या में संत व श्रद्धाल

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