संत समाज ने किया श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज का स्वागत

Haridwar News
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कमल खडका

हरिद्वार, 22 जून। भूपतवाला स्थित सीताराम धाम में अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज का स्वागत किया गया। इस दौरान सीताराम धाम के अध्यक्ष महंत सूरजदास महाराज के नेतृत्व में सभी संत महापुरूषों ने श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज को फूलमाला व पगड़ी पहनाकर उनका स्वागत किया। इस दौरान बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि वैष्णव अखाड़ों की गौरवशाली परंपरा विश्व विख्यात हैं।

संत हमेशा ही अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी संत हैं। जिनके नेतृत्व में श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा लगातार उन्नति की और अग्रसर हो रहा है। स्वामी ऋषिश्वरानन्द महाराज ने कहा कि संत परंपरा से ही पूरे विश्व में भारत की एक अलग पहचान है। कोरोना काल में भी संतों ने गरीब असहाय लोगों की बढ़चढ़ कर मदद की। श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज वैष्णव संतों के गौरव हैं। जो अखाड़े की परंपरांओं का निर्वहन करते हुए देश दुनिया में धर्म एवं संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

सीताराम धाम के अध्यक्ष महंत सूरजदास महाराज एवं महंत विष्णुदास महाराज ने कहा कि भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले संत महापुरूष सदैव सभी लोगों में धर्म एवं संस्कृति का प्रचार प्रसार कर उन्हें उन्नति की और अग्रसर करते हैं। महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा लेकर सभी को राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए। स्वामी आनन्द गिरी महाराज ने कहा कि जहां एक और पूरा विश्व कोरोना महामारी से त्रस्त है। वहीं भारत के संत महापुरूष पूरे विश्व को धर्म का सकारात्मक संदेश प्रदान कर रहे हैं।

जिससे मानव जाति का मनोबल बढ़ रहा है। पतित पावनी मां गंगा की असीम कृपा से जल्द ही कोरोना महामारी संपूर्ण जगत से समाप्त होगी और देश दुनिया में खुशहाली लौटेगी। श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सदैव परोपकार के लिए समर्पित रहने वाले संतों के सानिध्य में ही भक्तों का कल्याण संभव है। देश की एकता अखण्डता कायम रखने में संत समाज ने सदैव अहम भूमिका निभायी है। इस अवसर पर महंत रामजी दास, महंत गोविन्द दास, स्वामी आनन्द गिरी, डा.रामाप्रेमदास अयोध्या, महंत विष्णु दास, महंत रघुवीर दास, महंत दुर्गादास, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत प्रेमदास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत अंकित शरण आदि संत जन मौजूद रहे।

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