संतोषी कभी दरिद्र नहीं होता-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


श्रद्धालुओं को कराया सुदामा चरित्र का श्रवण
हरिद्वार, 19 जून। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वाधान में भारतमाता पुरम, भूपतवाला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया जिसके मन में संतोष होता है। वह कभी दरिद्र नहीं होता। दरिद्र वह होता ह,ै जिसके मन में कभी संतोष नहीं रहता। सुदामा परम संतोषी ब्राह्मण थे। हमेशा भगवान का धन्यवाद कहते थे। बाल्यकाल में संदीपनी मुनि के आश्रम में विद्या अध्ययन के दौरान कृष्ण और सुदामा की मित्रता हुई। विद्या अध्ययन के बाद दोनों अपने अपने घर चले गए। कृष्ण द्वारिकापुरी के राजा द्वारिकाधीश बन गए। परंतु सुदामा की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। सुदामा पत्नी सुशीला एवं दो बच्चों के साथ झोपड़ी में बेहद कठिनाई में जीवन गुजार रहे थे। परंतु भगवान से कभी कुछ नहीं मांगते थे।

हमेशा भगवान श्रीकृष्ण की मित्रता को याद करते हुए उनकी भक्ति किया करते। एक बार पत्नी के कहने पर सुदामा एक पोटली में दस मुट्ठी चावल लेकर श्रीकृष्ण से मिलने के लिए द्वारिकापुरी पहुंचे। श्रीकृष्ण ने द्वारिकापुरी में सुदामा का बहुत आदर सत्कार किया। श्रीकृष्ण जानते थे कि सुदामा उनसे कभी कुछ नहीं मांगेंगे। इसलिए श्रीकृष्ण ने सुदामा के लाए गए चावलों में से एक मुट्ठी चावल अपने मुख में डाला और ऊपर के सातों लोक और दूसरी मुट्ठी में नीचे के सातों लोक सुदामा के नाम कर दिए। सुदामा जब द्वारिकापुरी से लौटकर अपने गांव पहुंचे तब अपनी झोंपड़ी की जगह महलों को देखकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ और उनके मुख से बरबस ही निकल पड़ा कि ‘फैलाई जिसने झोली तेरे दरबार में आकर एक बार, तुझे देता नहीं देखा मगर झोली भरी देखी‘।
शास्त्री ने बताया कि भगवान अपने भक्तों को अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। भगवान की कृपा से उनके भक्त के पास किसी भी चीज की कमी नहीं रहती। भगवान अपने भक्तों को सब कुछ दे देते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को निष्काम भाव के साथ भगवान की भक्ति करनी चाहिए एवं मन में संतोष धारण करना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य यजमान सुरेश चन्द्र घुरा अध्यक्ष श्री गहोई वैश्य भवन सूर्य धाम, रश्मि गुप्ता, अमोघशंकर गुप्ता, पंडित अधीर कौशिक राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखंड परशुराम अखाड़ा, कुलदीप शर्मा, ललितमोहन शर्मा पूर्व आईएएस, डा.संदीप कटियार, कविता कटियार, राजेंद्र तोमर, सुषमा तोमर, ओमप्रकाश गुप्ता, वीरेंद्र गुप्ता, अरविंद सोनी, रामकुमारी गुप्ता, अल्पना गुप्ता, महेश गुप्ता, हार्दिक गुप्ता, नंदिनी गुप्ता, हर्षित गुप्ता, पार्थ गुप्ता, अथर्व गुप्ता, देवांश गुप्ता, माही गुप्ता, खुशी, चित्रांश गुप्ता, नियति, एंजेल, मानुषी, रामदेवी गुप्ता, रामकुमार गुप्ता, रजनी कुरेले, राजीव कुरेले, रागनी गुप्ता, दीपक गुप्ता, नेहा गुप्ता, सुधीर गुप्ता, कल्पना गुप्ता, अजय गुप्ता, निम्मी गुप्ता, विजय गुप्ता, पुष्पा देवी कुरेले, अशोक कुरेले, शालिग्राम गुप्ता, संजीव कुमार गुप्ता, अंकिता गुप्ता, हरिमोहन बडोनिया, गीता बडोनिया, मुकुंदीलाल गुप्ता, मुनिदेवी गुप्ता, धर्मेंद्र गुप्ता, गायत्री गुप्ता, सुरेंद्र बल्यिया, सुनीता बल्यिया, पंडित प्रकाशचंद्र जोशी, पंडित मनोज कोठियाल आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।

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