सरकारी घोषणाओं के मकड़जाल मे उलझा है मध्यम वर्ग- मनोज द्विवेदी

Haridwar News
Spread the love

तनवीर


हरिद्वार, 19 मई। आप नेता मनोज द्विवेदी ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित की गयी लोन रीस्ट्रक्चर स्कीम सिर्फ कागजो पर सिमटती जा रही हैं। केन्द्र सरकार व रिजर्व बैंक ओर सुप्रीम कोर्ट का आपस मे साम्जस्य नही है। सरकार कहती है कि व्यापारियों के साथ खड़ी है। रिजर्व बैंक का कहना है कि हमने लोन रीस्ट्रक्चर के लिये बैंकों को आदेश दे दिये हैं पर आखिरी फैसला बैंक को लेना है। बैंक मैनेजर के विवेक पर निर्भर करता है कि वह आपको लोन देगा या नही। बैंक कहता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 31 मार्च तक जिस खाते मे कोई डिमांड नही होगी, हम उन्ही पर विचार करेंगे। द्विवेदी ने कहा कि व्यापारी पिछ्ले साल कोविड महामारी का मारा हुआ था। उसकी लाॅकडाऊन के बाद कौन सी लाटरी लग गई है।

जो अपने खाते मेनटेन कर लेता। पिछ्ले साल 6 महीने किस्त भरने की राहत दी गयी थी। अक्तूबर मे ब्याज समेत एक बार मे ही काट ली गयी। जो आदमी मासिक किस्त किसी तरह भरने की कोशिश मे लगा हुआ था। उसने 6 महीने की किस्ते कैसे भरी होंगी। इसे सहज ही समझा जा सकता है। परंतु बैंक ने अपना किया। व्यापारी अपने आपको किसी तरह दोबारा खडा करने की जद्दोजहद मे लगा हुआ था। उसको फिर से लाॅकडाऊन की मार पड़ गयी। फिर सारा कामकाज बन्द हो गया। व्यापारी को अपनी बन्द दुकानो का किराया भी देना है। मुलाजिम की सैलरी और बिजली का बिल भी देना है साथ ही अपने बच्चे भी पालने है। लेकिन बैंक लोन देना तो दूर सिबिल खराब करने की धमकी अलग से दे रहे हैं। ये दर्द उस मध्यम वर्ग का है। जिसके बारे मे सरकार कभी सोचती भी नही। मध्यम वर्ग को तो योजनाओ के मकरजाल मे उलझाकर रख दिया है।

सरकार जो भी योजना बनाती है उसके केन्द्र मे गरीब तबका होता है या अमीर तबका। क्योंकि सभी राजनीतिक दलों को वोट ओर पैसा चाहिए। अमीर आदमी राजनेताओं को चंदे के रुप मे मोटा पैसा देते हैं ओर गरीब आदमी वोट। मध्यम वर्ग की उन्हें जरूरत ही नही है। देश मे मध्यम वर्ग का कोई बजूद नही, कोई औकात नहीं। उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं। आज सबसे अधिक पीड़ित मध्यम वर्ग ही है। जिससे सरकार टैक्स तो समय से मांगती है ना भरने पर पेनल्टी भी लगाती है। बैंक ब्याज समय पर माँग रहे हैं। स्कूल वाले फीस मांग रहे है। दुकाने भी उसी की बन्द हैं। सबसे अधिक शोषण इसी का हो रहा है। बात अमीर आदमी की करें तो उसके फेवर मे सरकार खडी है। नही तो क्या कारण है कि फैक्ट्री प्लांट चालू है ओर दुकाने बन्द हैं। ये तुग्लकी फरमान जारी करने वालो को मीडिया के माध्यम से चैलेंज करता हूं कि इसका स्पष्टीकरण समझा सके तो समझाए। दरअसल अमीर आदमी राजनीतिक दलो को चन्दा देता है ओर गरीब आदमी वोट। लेकिन मध्यम वर्ग सिर्फ 4 फीसदी है। इसलिये उसको लेकर कोई दल या कोई सरकार गम्भीर नही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *