कमल खडका
हरिद्वार, 15 जुलाई। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली द्वारा अयोध्या को भारत के बजाए नेपाल में बताए जाने को लेकर संतों में उपजा रोष थमने का नाम नहीं ले रहा है। श्री राम निवास आश्रम में आयोजित बैठक में संतों ने नेपाली प्रधानमंत्री के बयान पर कड़ा एतराज जताते घोर शब्दों में निंदा की। श्री राम निवास आश्रम के परमाध्यक्ष तथा युवा भारत साधु समाज के मीडिया प्रभारी महंत स्वामी दिनेश दास शास्त्री महाराज ने कहा कि सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति पर किसी भी तरह के कुठाराघात को बर्दाश्त नहीं किया जाएग। नेपाल में चल रहे सत्ता संघर्ष के चलते अपना मानसिक संतुलन खो बैठे प्रधानमंत्री केपी ओली इस तरह की अनर्गल बयानबाजी कर नेपाल की जनता का ध्यान भटकान चाहते हैं।
महंत दिनेश दास महाराज ने कहा कि तमाम हिंदू धर्म शास्त्रों में अयोध्या भारत में होने के पुख्ता प्रमाण हैं। इसके बावजूद गलत बयानबाजी कर रहे नेपाली प्रधानमंत्री को भारत की जनता से माफी मांगनी चाहिए। स्वामी सुतीक्ष्ण मुनी महाराज ने कहा कि करोड़ों हिन्दू श्रद्धालुओं के आराध्य भगवान श्री राम की जन्म स्थली को विवाद का विषय बना रहे नेपाली प्रधानमंत्री ने यदि माफी नहीं मांगी तो संत समाज उनके खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन करने को बाध्य होगा। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि सत्य को झूठलाया नहीं जा सकता है। यह सनातन सत्य है कि करोड़ो हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या भारत में स्थित है। किसी के बयान देने से यह असत्य नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि असत्य बयानबाजी कर नेपाल के प्रधानमंत्री अपने सामने मौजूद राजनीतिक संकट से पार पाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत की जनता व संत समाज उनके इस बयान को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। भगवान श्रीराम जन जन के आराध्य हैं। उनके प्रति किसी भी प्रकार की टीका टिप्पणी संत महापुरूष बर्दाश्त नहीं करेंगे। केपी ओली को तत्काल भारत देशवासियों से माफी मांगनी चाहिए। स्वामी शिवानंद, स्वामी योगेंद्रानंद, स्वामी कृष्णागिरी, स्वामी स्वर्ण मुनि आदि संतों ने भी नेपाल के प्रधानमंत्री के बयान की आलोचना करते हुए माफी मांगने की मांग की।