ऋषि परंपरांओं को आगे बढ़ा रहे स्वामी अयोध्याचार्य -श्रीमहंत रविंद्रपुरी

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राकेश वालिया


वैदिक संस्कृति में यज्ञ का विशेष महत्व-स्वामी अयोध्याचार्य
हरिद्वार, 23 फरवरी। श्री नृसिंह धाम पीठ के परमाध्यक्ष जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज के संयोजन में बैरागी कैम्प में आयोजित कोटि होमात्मक श्री विष्णु महायज्ञ के दौरान विशाल संत समागम का आयोजन किया गया। यज्ञ की पूर्णाहूति शनिवार को होगी। संत समागम में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी अयोध्यार्चा महाराज द्वारा प्राचीन ऋषि मुनियों द्वारा प्रतिपादित यज्ञ की परम्परा का पालन करते हुए आयोजित किए गए कोटि होमात्मक श्री विष्णु महायज्ञ के प्रभाव से विश्व शांति और मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा।

उन्होंने कहा कि ऋषि परम्पराओं को आगे बढ़ाने के लिए के लिए स्वामी अयोध्याचार्य बधाई के पात्र हैं। जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सनातन धर्म संस्कृति और प्राचीन ऋषि परंपरांओं को आगे बढ़ाना संत समाज का दायित्व है। वैदिक संस्कृति में यज्ञ का विशेष महत्व है। यज्ञ करने से देवी देवता प्रसन्न होते हैं और यज्ञ की अग्नि से उठने वाला धुुंआ जहां-जहां आवरण बनाता है। उस क्षेत्र की समस्त नकारात्मकता समाप्त हो जाती है और समस्त मानवों में सकारात्मक विचारों का उदय होता है। जिससे शांति और सौहार्द का वातावरण बनता है और सभी के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है।

महंत विष्णु दास महाराज ने कहा कि संसार का कल्याण ही संतों का उद्देश्य है। गंगा तट पर संतों के सानिध्य में आयोजित किए गए कोटि होमात्मक श्री विष्णु महायज्ञ से निश्चित ही संसार का कल्याण होगा। महंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि तीन सौ वैदिक ब्राह्मणों द्वारा ऋषि परंपरा के अनुसार वैदिक मंत्रोंच्चार के साथ नौ दिनों तक किए गए यज्ञ का अवश्य ही सकारात्मक प्रभाव होगा। स्वामी रविदेव शास्त्री एवं स्वामी निर्मल दास महाराज ने कहा कि जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज उच्च कोटि के संत और संत समाज के प्रेरणास्रोत हैं। उनके सानिध्य में आने वाले भक्तों का हमेशा कल्याण होता है।

महंत राजेंद्र दास, महंत विष्णुदास, महंत गोविंददास, महंत प्रेमदास ने फूलमाल पहनाकर सभी संतें का स्वागत किया। इस अवसर पर स्वामी शिवानन्द, महंत गोविन्ददास, महंत राघवेंद्र दास, बाबा हठयोगी, महंत जसविन्दर सिंह, महंत निर्भय सिंह, स्वामी अनन्तानन्द, स्वामी हरिहरांनद, स्वामी दिनेश दास, स्वामी प्रमोद दास, महंत प्रेमदास, भक्त दुर्गादास, महंत हरिदास, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, स्वामी सुतीक्ष्ण मुनि, महंत प्रह्लाद दास, महंत दुर्गादास, स्वामी रवि वन, आईडी शर्मा सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष व श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

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