भक्त की रक्षा करते हैं भगवान-भागवताचार्य पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 19 दिसम्बर। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में स्वागत बैंकट हॉल आर्य नगर चैक ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने प्रलाद चरित्र श्रवण कराते हुए बताया कि मनुष्य, देवता, दानव, पशु, पक्षी चराचर जगत में कोई भी भगवान की भक्ति करता है तो भगवान उसकी रक्षा करते हैं। भागवताचार्य पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि प्रहलाद का जन्म राक्षस कुल में हुआ। प्रहलाद के पिता हिरण्यकशिपु भगवान नारायण से द्वेष रखता था।

जो भी भगवान नारायण का भजन करता है हिरण्यकशिपु उसका वध कर देता था। ऐसी स्थिति में मां के गर्भ में ही देव ऋषि नारद से भागवत कथा का श्रवण करके राक्षस कुल में जन्म लेने वाला बालक प्रहलाद भगवान का अनन्य भक्त बनकर भगवान की भक्ति करता है। हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को मारने के लिए अनेकों अनेकों प्रकार के उपाय किए। उसे जल में डुबाया, पहाड़ से गिराया, उबलती हुई तेल की कढ़ाई में डलवाया, अस्त्र शस्त्रों से मरवाने का प्रयास किया। यहां तक कि प्रहलाद की बुआ होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गयी, पर भगवान ने प्रत्येक परिस्थिति में प्रहलाद की रक्षा की और स्वयं नरसिंह रूप में प्रकट हुए और हिरण्यकशिपु को मार कर प्रहलाद की रक्षा की। शास्त्री ने बताया ठीक इसी प्रकार से पशु योनि में गजराज अपने परिवार के साथ सरोवर पर जल पीने के लिए जाता है। जल के भीतर रहने वाला ग्राह गजराज का पैर पकड़ लेता है

। गजराज ने बहुत प्रयास किया ग्राह से छूटने का परंतु जल के भीतर ग्राह का बल अधिक होने के कारण गजराज ग्राह से मुक्त नहीं हो पाया। गजराज ने भगवान नारायण का ध्यान किया, स्तुति की और स्तुति सुनकर भगवान ग्राह का वध करके गजराज को ग्राह के बंधन से मुक्त कराते हैं। भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि भगवान की शरण में जो भी जाता है और भगवान की भक्ति करता है तो भगवान उसकी रक्षा करते हैं। इस कलिकाल में मुख्य रूप से भगवान की भक्ति ही जीव का कल्याण करती है। सभी को भगवान की भक्ति करनी चाहिए। कथा में मुख्य जजमान योगेश कौशिक, सुनीता कौशिक, विश्वेश्वर दयाल शर्मा, परमेश कौशिक, अविनेश कौशिक, समर्थ कौशिक, सुशांत कालिया, यामिनी कालिया, निशांत कौशिक, तुषार कौशिक, प्रशांत कौशिक ने भागवत पूजन कर कथा व्यास से आशीर्वाद प्राप्त किया।

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