श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के गेट से कूड़ा नहीं उठाए जाने पर संतों ने जताया रोष

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कनखल क्षेत्र की उपेक्षा कर रहा नगर निगम-महंत जसविन्दर सिंह

विक्की सैनी

हरिद्वार, 23 मार्च। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के संतों ने अखाड़े के गेट से 10 दिन से कूड़ा ना उठाए जाने पर गहरी नाराजगी जताई। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि बार बार स्थानीय पार्षद और नगर निगम के अधिकारियों को सूचित करने के बाद भी अखाड़े के गेट के सामने से कूड़ा नही उठाया जा रहा है। कोरोना वायरस का प्रकोप बना हुआ है। नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों को लाॅकडाऊन के पश्चात शहर की व्यवस्थाओं को लागू कराने के आदेश दिए गए हैं। ऐसे में शहर की सड़कों से गंदगी से मुक्त किया जाना चाहिए। निर्मल अखाड़े के मुख्य गेट के पास हफ्तों से कूड़ा पड़ा हुआ है। लेकिन कर्मचारी इस और कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। शहर की सड़कों को व आसपास के क्षेत्रों को सेनेटाइज किया जाना चाहिए। जिससे कोरोना के खतरे को कम किया जा सके।

उन्होंने कहा कि संक्रमित बीमारियां गंदगी के कारण फैलती हैं। उन्होंने कहा कि नगर निगम को वृहद स्तर कनखल क्षेत्र में फागिंग अभियान भी चलाना चाहिए। महंत अमनदीप सिंह व महंत खेमसिंह ने कहा कि नगर निगम कनखल क्षेत्र की सफाई व्यवस्था को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। उसके बावजूद भी सड़कों की सफाई व्यवस्था नहीं होना नगर निगम की लचर कार्यप्रणाली को दर्शाता है। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए नगर निगम के अधिकारियों को अतिरिक्त सफाई कर्मचारी लगाकर शहर की सड़कों को सेनेटाइज करना चाहिए। जिससे लोगों को राहत मिल सके। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि लाॅकडाऊन का पूरी तरह पालन करें। स्वयं व अपने परिवार को कोरोना के खतरे से बचाने में सहयोग करना चाहिए।

महंत सतनाम सिंह महाराज ने कहा कि कनखल क्षेत्र की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लोगों को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर सड़कों पर सफाई के साथ साथ दवाईयों का छिड़काव व सेनेटाइज कर लोगों को मानसिक शांति देनी चाहिए। स्वच्छता अभियान को ताक पर रखा जा रहा है। अधिकारी कर्मचारी अपने दायित्व को ठीक रूप से निर्वाह नहीं कर रहे हैं। आश्रम अखाड़ों में संत महापुरूष निवास करते हैं। धार्मिक क्रियाकलाप गंदगी के कारण प्रभावित होते हैं। इस दौरान महंत हरभजन सिंह, महंत निर्मल सिंह, संत सुखमन सिंह, संत जसकरण सिंह, संत तलविन्दर सिंह, संत आशा सिंह, संत सिमरन सिंह, संत विष्णु सिंह, संत रोहित सिंह, संत झण्डा सिंह आदि उपस्थित रहे। 

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