विलक्षण प्रतिभा से पूरिपूर्ण विद्धान संत थे ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज -स्वामी विवेकानंद

Haridwar News
Spread the love

राकेश वालिया


हरिद्वार, 26 मार्च। महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद महाराज ने कहा है कि गौरवशाली गुरु शिष्य परंपरा पूरे विश्व में भारत को महान बनाती है और एक संरक्षक के रूप में संतों ने सदैव ही समाज का मार्गदर्शन किया है। श्री गुरु मंडल आश्रम में ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी रामस्वरूप वेदांताचार्य महाराज के आठवें निर्वाण महोत्सव पर आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वामी विवेकानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज कुशल व्यक्तित्व के धनी थे और विद्वान होने के साथ-साथ विलक्षण प्रतिभा से परिपूर्ण थे।

जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए समर्पित किया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज सदैव नमन करता है। गुरु मंडल आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी भगवतस्वरूप दर्शनाचार्य महाराज ने कहा कि पूज्य गुरुदेव द्वारा सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज उत्थान में जो सहयोग किया गया। वह आज भी अनुकरणीय है और दिन प्रतिदिन उसमें बढ़ोतरी कर उनके अधूरे कार्य को पूरा किया जा रहा है।

वास्तव में महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। राष्ट्र कल्याण के लिए उनकी शिक्षाएं अनंत काल तक समाज का मार्गदर्शन करती है। उन्होंने कहा कि माता पिता एवं गुरू ईश्वर का ही स्वरूप हैं। माता पिता एवं गुरू की सेवा करने से व्यक्ति को जीवन में उच्च पद की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। उनके बताए मार्ग पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि श्री गुरू मंडल आश्रम सनातन धर्म संस्कृति व सेवा का प्रमुख केंद्र है।

ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज द्वारा स्थापित सेवा परंपरा को महामंडलेश्वर स्वामी भगवतस्वरूप महाराज निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। जोकि समस्त संत समाज के लिए गौरव का विषय है। महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद महाराज में कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज एक तपस्वी और महान संत थे। जिन्होंने अपने जीवन काल में भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित किया। वास्तव में वह एक युगपुरुष थे। जिनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता।

श्रीमहंत विष्णु दास महाराज एवं महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके कृपा पात्र शिष्य के रूप में महामंडलेश्वर स्वामी भगवतस्वरूप महाराज धर्म एवं संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हुए उनके आदर्शों को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान प्रदान कर रहे हैं। संत समाज उनके दीर्घायु होने की कामना करता है। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का स्वामी शिवस्वरूप महाराज ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान कई विद्वान संत महापुरूषों को आश्रम की और से प्रशस्ति पत्र एवं शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया गया।

इस अवसर पर रामानंदाचार्य जगद्गुरू स्वामी अयोध्याचार्य महाराज, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत दामोदरदास, श्रीमहंत शांतानंद, श्रीमहंत रमेश मुनि, श्रीमहंत भूमानंद महाराज, महंत निर्मल दास, महामंडलेश्वर स्वामी महेश मुनि, महंत प्रेमदास, महंत बिहारी शरण, महंत दर्शन दास, महंत श्रवण मुनि, महंत किशन दास, स्वामी संतोष मुनि, महंत भरतमुनि, महंत बलराम मुनि, महंत स्वामी प्रेमानंद, महंत स्वामी ओमप्रकाश शास्त्री, स्वामी हरिशरणानंद महाराज, महंत कमल मुनि, आचार्य पदमप्रकाश सुवेदी, महंत श्यामप्रकाश सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *