हरिद्वार, 18 दिसम्बर। उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत के ध्येयवाक्य विश्लेषण कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की भारतीय भाषा समिति द्वारा अनुदानित यह कार्यशाला 18 से 20 दिसम्बर तक चलेगी। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेशचन्द्र शास्त्री ने कहा कि देश की विभिन्न संस्थाओं के ध्येयवाक्यों के विश्लेषण एवं उनके संस्कृत, हिंदी एवं अंग्रेजी में अनुवाद की यह कार्यशाला मील का पत्थर साबित होगी। प्रो.शास्त्री ने कहा कि किसी भी संस्था का ध्येयवाक्य उसे विकास के पथ पर अग्रसर होने की दिशा प्रदान करता है।
इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि उस संस्था के समस्त कर्मचारी एवं अधिकारियों सहित संपूर्ण समाज भी उस ध्येय वाक्य के अर्थ एवं उसके मूल में छिपे मूल्य से परिचित हो सके। कार्यशाला के समन्वयक डा.विनय सेठी ने कार्यशाला की पृष्ठभूमि एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कार्यशाला में देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के ध्येयवाक्यों को सरल भाषा में अनूदित किया जाएगा, जिससे समाज का प्रत्येक व्यक्ति उन्हें सरलता से समझ सके। कार्यशाला के संयोजक डा.सुमन प्रसाद भट्ट ने कहा कि कार्यशाला में संस्कृत, अंग्रेजी एवं हिंदी भाषा के राष्ट्रीय फलक के विशेषज्ञों के पैनल द्वारा ध्येय वाक्यों के अर्थ एवं उनके मूल्यों पर गहन चिंतन किया जाएगा।
डा.भट्ट ने विशेषज्ञों के पैनल का स्वागत करते हुए सभी का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यशाला की सहसंयोजक डा.श्वेता अवस्थी ने बताया कि कार्यशाला में प्रो.मुकेश रंजन वर्मा, डा.निरंजन मिश्र, डा.शैलेश तिवारी, डा.वाणी भूषण भट्ट, डा. साधना डिमरी, डा.दामोदर परगाई, डा.अखिलेश मैठानी, डा.प्रदीप सेमवाल, डा.नवीन जसोला, डा.मेसीवाल, डा.प्रकाश चंद्र जोशी, डा.राजेश शर्मा, डा.रुपेश जोशी, राकेश शर्मा, डा.ओम प्रकाश सिंह एवं डा.दीपिका भट्ट विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहेंगे। विश्वविद्यालय के कुल सचिव गिरीश कुमार अवस्थी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।