युगपुरूष थे ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी-श्रीमहंत बलवीर गिरी

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राहत अंसारी


हरिद्वार, 24 दिसम्बर। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज को मायापुर स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में संत समाज ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज के शिष्य एवं बाघम्बरी पीठाधीश्वर श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन पूज्य गुरुदेव श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज एक युगपुरुष थे।

जिनके आकस्मिक निधन से एक युग का अंत हुआ है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सनातन धर्म की रक्षा एवं भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित किया और सभी संत महापुरुषों को एक मंच पर लाकर राष्ट्र की एकता अखंडता को कायम रखा। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।

श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में अनेकों कुंभ मेले सकुशल संपन्न हुए और धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए उन्होंने अनेक मंच एवं सभाओ के माध्यम से युवा पीढ़ी को जागृत किया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज सदैव स्मरण करता रहेगा। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरुदेव की स्मृतियों को संजोए रखने के लिए पूरे देश में सेवा प्रकल्प स्थापित कर समाज हित में समर्पित किए जाएंगे।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी संत थ।े जिनके नेतृत्व में सभी तेरह अखाड़े समाज में फैली कुरीतियों को दूर कर धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में अपना सहयोग प्रदान कर रहे थ।े उनका असमय निधन समस्त संत समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता।

उन्होंने फर्जी संतों के खिलाफ मुहिम चलाकर समाज का मार्गदर्शन किया और अपने तप एवं विद्वत्ता के माध्यम से भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाया। ताकि युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति हावी ना हो सके और वह अपने धर्म व संस्कृति को पहचानंे। समाज कल्याण में उनका सहयोग कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत राम रतन गिरी एवं श्रीमहंत केशव पुरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है और ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे।

जो गौ गंगा एवं गायत्री के प्रबल समर्थक थे। गंगा स्वच्छता एवं मानव सेवा उनके जीवन का मूल उद्देश्य था। उनके आदर्श पूर्ण जीवन से प्रेरणा लेकर सभी को समाज सेवा में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए और धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के प्रति समर्पित रहना चाहिए। तभी समाज एकजुट होकर उन्नति की ओर अग्रसर रह सकता है।

इस अवसर पर श्रीमहंत ओंकार गिरी, श्रीमहंत राधे गिरी, दिगंबर गंगागिरी, महंत गुरमीत सिंह, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत सुतीक्षण मुनि, स्वामी आलोक गिरी, स्वामी आशुतोष पुरी, स्वामी रघु वन, स्वामी रवि वन, दिगंबर राजगिरी, स्वामी पूर्णानंद गिरी सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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