गौरव रसिक
हरिद्वार, 14 फरवरी। आनंद मार्ग जागृति ध्यान मंदिर रावली महदूद में आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय आनंद मार्ग सामाजिक एवं आध्यात्मिक दर्शन पर आधारित सेमिनार एवं राजाधिराज योग साधना शिविर का रविवार को समापन हुआ। सेमिनार में केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य नभातितानंद अवधूत ने समाज का गति तत्व, रथ एवं रथी तथा सभ्यता के भविष्य सहित कई विषयों पर उपस्थित श्रद्धालु जनों का मार्गदर्शन किया।
इस दौरान प्रभात फेरी निकाली गयी। प्रवचन, कीर्तन, सामूहिक साधना के अलावा आसन, कौशिकी एवं ताण्डव का प्रशिक्षण भी श्रद्धालुओं को दिया गया। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य नभातितानंद अवधूत ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरांओं का निवर्हन आदि अनादि काल से भारतवर्ष में चला आ रहा है। गुरू ही शिष्य का ज्ञान प्रसारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। आदर सत्कार व सम्मान किया जाना नितांत आवश्यक है। सामाजिक तानेबाने को समझने की आश्यकता है। उत्तम चरित्र ही राष्ट्र निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
धर्म संस्कृति का ज्ञान सभी को होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तौर तरीकों को समझने की आवश्यकता है। आचार्य नभातितानंद महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए विश्व भर में कोरोना का संकट बना हुआ है। हमें अपने शरीर के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। इंद्रीयों पर नियंत्रण रखना ही मनुष्य की सफलता का रास्ता है। मनुष्य कल्याण में किया गया योगदान अवश्य ही प्रत्येक भक्त के लिए कल्याणकारी होता है। सामाजिक सरोकारों में सभी को अपना सहयोग करना चाहिए। मन के विकारों को दूर कर देश निर्माण में मिलजुल कर प्रयास करें। तीन दिवसीय सम्मेलन में श्रद्धालु भक्तों को जीवन को ऊंचाईयों की ओर ले जाने के लिए कई तरह के विचारों से अवगत कराया गया। बड़ी संख्या में राज्य एवं अन्य प्रदेशों से भक्तजनों ने आचार्य नभातितानंद अवधूत महाराज से उनके विचारों का लाभ प्राप्त किया।
इस अवसर पर बरेली, मेरठ उत्तरकाशी,नैनीताल, हरिद्वार सहित कई स्थानों से आए श्रद्धालु मौजूद रहे। आचार्य आदित्य देवानंद अवधूत, आचार्य अमरतेशानंद अवधूत, महिला सन्यासिनी अवधुतिकानंद, आराधना आचार्या, कार्यक्रम के व्यवस्थापक जय प्रकाश, अशोक, नवीन, देवेंद्र शास्त्री, प्रभुपाल आदि ने सहयोग किया।