एडवोकेट ललित मिगलानी ने दी धारा 144 पर विस्तार से जानकारी

Haridwar News
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तनवीर


हरिद्वार, 16 जनवरी। चुनाव के दौरान या किसी खास वक्त पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन द्वारा धारा 144 लागू करता है। लेकिन आम लोगों को यह पता नहीं होता कि धारा 144 लगने पर उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है। हाईकोर्ट के अधिवक्ता एवं भारतीय जागरूकता समिति के अध्यक्ष ललित मिगलानी ने धारा 144 के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि धारा 144 लगाने का मुख्य मकसद कई लोगों को एक जगह पर इकठ्ठा होने से रोकना है।

सरकार यह धारा तब लागू करती है जब लोगों के इकट्ठा होने से कोई खतरा हो सकता है। सीआरपीसी की धारा 144 शांति कायम करने या किसी आपात स्थिति से बचने के लिए लगाई जाती है। किसी तरह के सुरक्षा, स्वास्थ्य संबंधित खतरे या दंगे की आशंका हो तो धारा 144 लगायी जाती है। जिस इलाके में धारा 144 लगती है, उस इलाके में पांच या उससे ज्यादा लोग एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं। धारा 144 लागू करने के लिए इलाके के जिलाधिकारी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है।

धारा 144 लागू होने के बाद इंटरनेट सेवाओं को भी बंद किया जा सकता है। जिस इलाके मंें धारा 144 लागू हो वहां हथियार ले जाने पर भी पाबंदी रहती है। धारा 144 को एक महीने से ज्यादा समय तक नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में इस अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है। धारा 144 का उल्लंघन पर तीन साल कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। एडवोकेट ललित मिगलानी ने बताया कि आम लोग क्रफ्यू और धारा 144 में अंतर नहीं कर पाते हैं।

उन्होंने कहा कि किसी इलाके में हालात बेहद खराब होने पर क्रफ्यू लगाया जाता है। क्रफ्यू लागू होने पर घर से बाहर जाने पर पूरी तरह पाबंदी होती है। केवल आवश्यक सेवाओं को ही जारी रखा जाता है। इस दौरान यातायात पर भी पाबंदी रहती है। ललित मिगलानी ने कहा कि आमजन को धारा 144 लागू की स्थिति में भयभीत नहीं होना चाहिए। बल्कि सतर्क रहकर प्रशासन की मदद करनी चाहिए। कहीं पर कुछ आपतिजनक लगने पर तुरन्त पुलिस को सूचित करके अपनी जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिये।

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