विडियो :-अखाड़ों की परम्परा का उल्लंघन स्वाीकार नहीं किया जाएगा-बाबा हठयोगी

Dharm
Spread the love

राकेश वालिया

हरिद्वार, 4 जनवरी। दिगंबर अणी अखाड़े के स्थानीय प्रतिनिधि व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा है कि आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित अखाड़ा परंपरा का उल्लंघन कतई स्वीकार नहीं कि जाएगा। किन्नर अखाड़े को लेकर अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते बाबा हठयोगी ने कहा कि सदियों से चली आ रही अखाड़ा पम्परा के तहत केवल तेरह अखाड़ों को ही मान्यता प्राप्त है।

ऐसे में परंपराओं का उल्लंघन कर किसी नए अखाड़े को मान्यता नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि तीन बैरागी अणियों में 18 अखाड़े शामिल हैं। लेकिन सभी बैेरागी अखाड़े तीनों अणियों के साथ ही कुंभ मेले में शाही स्नान करते हैं। श्रीमहंत हरिगिरी चाहें तो जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े को भी स्नान करा सकते हैं। लेकिन परंपरांओं का उल्लंघन कर किन्नर अखाड़े को मान्यता नहीं दी सकती है। इससे गलत परंपरा प्रचलित होगी और समाज का कोई वर्ग अखाड़ा गठित कर शाही स्नान की मांग कर सकता है।

जिससे अनावश्यक रूप से विवाद उत्पन्न होगा। बाबा हठयोगी ने कहा कि सरकार व मेला प्रशासन के पास उपलब्ध कुंभ मेला संबंधी रिकार्ड में भी केवल तेरह अखाड़ों का उल्लेख है। उन्होंने बताया कि 2010 के हरिद्वार कुंभ में तत्कालीन अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज के समक्ष भी किन्नर अखाड़े के रूप में चैदहवां अखाड़ा गठित करने का प्रस्ताव आया था। लेकिन श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज ने परंपराओं का पालन करते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
बाबा हठयोगी ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले को लेकर उनका दृष्टिकोण बिल्कुल स्पष्ट व सराहनीय है। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज पारदर्शिता रखते हुए बिना किसी भेदभाव के तथा कोई नया विवाद उत्पन्न ना हो इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज परंपराओं के साथ हैं और परंपराओं को पथभ्रष्ट नहीं होने देना चाहते हैं।
श्रीमहंत हरिगिरी महाराज द्वारा अखाड़ा परिषद के महामंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने संबंधी बयान पर बाबा हठयोगी ने कहा कि यह उनका निजी निर्णयय हैं। वे यदि पद पर नहीं रहना चाहते हैं तो पद छोड़ सकते हैं। किसी को कोई एतराज नहीं होगा। लेकिन सदियों से चली आ रही अखाड़ा परंपरा का उल्लंघन कर नए अखाड़ों को मान्यता नहीं दी जा सकती है। श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने किन्नर अखाड़े से जो भी वादा किया है उसे पूरा करना उनका काम है। लेकिन परंपराओं का उल्लंघन कतई स्वीकार नहीं होगा। बाबा हठयोगी दिगंबर ने यह भी कहा कि वर्तमान अखाड़ा परिषद का गठन असंवैधानिक है। अध्यक्ष व महामंत्री दोनों वरिष्ठ पदाधिकारी सन्यासी अखाड़ों से संबद्ध हैं। जो कि अखाड़ा परिषद के संविधान के विपरीत है। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत हरिगिरी महामंत्री पद पर जबरदस्ती काबिज हैं। जो कि परंपरांओं के खिलाफ है। महंत प्रह्लाद दास महाराज ने कहा कि जगद्गुरू शंकराचार्य द्वारा तेरह अखाड़ों का गठन किया गया था। उसी परंपरा को संत समाज अनादि काल से निभाता चला आ रहा है। किसी भी परिस्थिति में चैदहवें अखाड़े का गठन नहीं होने दिया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *