श्री काल भैरव मंदिर आश्रम आशारोड़ी में धूमधाम से मनायी गयी भैरव जयंती

Haridwar News
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राकेश वालिया


भय से भक्तों की रक्षा करते हैं भगवान भैरव -श्रीमहंत रविंद्रपुरी
भगवान भैरव की आराधना से दूर होत हैं रोग, दोष और कष्ट-महंत कौशलपुरी
हरिद्वार, 5 दिसम्बर। कनखल स्थित श्री काल भैरव मंदिर आश्रम आशारोड़ी में महंत कौशलपुरी के संयोजन में भैरव जयंती का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंचकर भगवान भैरव की पूजा अर्चना की और परिवार के लिए मंगलकामना की। पूजा अर्चना करने आए भक्तों को हलवा और चने का प्रसाद वितरित किया गया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज सहित कई संत महापुरूष शामिल हुए।

इस दौरान श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि भय से भक्तों की रक्षा करने वाले भगवान काल भैरव की आराधना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। सच्चे मन से भगवान काल भैरव की आराधना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने कहा कि महंत कौशलपुरी महाराज भक्तों को धर्म व अध्यात्म का ज्ञान प्रदान करने के साथ सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में भी उल्लेखनीय योगदान कर रहे हैं। भारत माता मंदिर के महंत महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव के अवतार भगवान भैरव सदैव भक्तों का कल्याण करते हैं।

महंत कौशलपुरी महाराज ने फूलमाला पहना सभी संतों का स्वागत किया और कहा कि भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की विधि-विधान से पूजा करने से रोग, दोष, कष्ट, अकाल मृत्यु के भय से छुटकारा मिलता है। भगवान काल भैरव की कृपा से नकारात्मकता दूर होती है और प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि समाज में आध्यात्मिकता का प्रसार करने के साथ धर्म संस्कृति का संरक्षण करना ही संत समाज का उद्देश्य है। स्वामी बिपनानंद और स्वामी नागेंद्र महाराज ने कहा कि भगवान काल भैरव सदैव भक्तों की रक्षा करते हैं।

सभी को पूर्ण विधि विधान से भगवान काल भैरव की आराधना अवश्य करनी चाहिए। विधायक मदन कौशिक ने भी मंदिर पहुंचकर भगवान भैरव की पूजा अर्चना की और संतों से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी कपिल मुनि, स्वामी नागेंद्र महाराज, गंगा गौधाम सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी निर्मलदास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास, महंत राघवेंद्र दास, महंत गोविंददास, स्वामी बिपनानंद महाराज सहित अनेक संत महापुरूष और श्रद्धालु शामिल रहे।

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