विडियो :-भाजपा विधायक सुरेश राठौर बनेंगे निरंजनी अखाड़े के महामण्डलेश्वर

Haridwar News
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तनवीर
विद्वान व्यक्ति को सम्मान स्वरूप महामण्डलेश्वर की पदवी प्रदान करते हैं अखाड़े-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी

हरिद्वार, 26 मार्च। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने सदा धर्म को आगे बढ़ाने का काम किया है और धर्म प्रचार को बढ़ाने वाले विद्वान लोगों को अखाड़े में महामंडलेश्वर जैसे पद से सुशोभित किया है। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के संतों ने सर्वसम्मति से रविदास समाज से जुड़े भाजपा विधायक सुरेश राठौर को महामंडलेश्वर बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। वही पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में बैठक करके इस संबंध में प्रस्ताव को पारित किया गया कि रविदासाचार्य सुरेश राठौर को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी का महामण्डलेश्वर बनाया जाएगा।

12 अप्रैल के स्नान से पूर्व म.म.बनाने की प्रक्रिया पूर्ण कर दी जाएगी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बताया कि 12 अप्रैल के शाही स्नान से पूर्व सुरेश राठौर का पट्टाभिषेक कर पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी का महामंडलेश्वर बना दिया जाएगा। महामण्डलेश्वर बनने के बाद सुरेश राठौर 12 अप्रैल को होने वाले शाही स्नान में अखाड़े के साथ स्नान करेंगे। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि सुरेश राठौर ने रविदास समाज को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कार्य किया है। रविदासाचार्य सुरेश राठौर एक विद्वान व्यक्ति हैं। संत रविदास की कथा कर वह लोगों को धर्म के प्रति जागरूक करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

धर्म के प्रति आस्था रखने व धर्म को आगे बढ़ाने में योगदान करने वाले लोगों को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में स्थान दिया जाता है। परिवार से संबंध रखने वाले व गृहस्थ संतों को बाहर किए जाने के अखाड़े के निर्णय के बाद एक गृहस्थ व्यक्ति को महामण्डलेश्वर बनाए जाने पर उठे सवालों पर श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि महामण्डलेश्वर पद एक उपाधि मात्र है। अखाड़ा विद्वान व्यक्ति को सम्मान स्वरूप महामण्डलेश्वर पद प्रदान करता है ताकि व्यक्ति धर्म के प्रचार व उत्थान में योगदान कर सके। परिवार से संबंध रखने वाले केवल उन्हीं संतों को अखाड़े से बाहर करने का निर्णय लिया गया है जो पदाधिकारी है और जिनके नाम पर अखाड़े की संपत्ति है। यह निर्णय अखाड़े से दीक्षा लेने वाले संतों पर ही लागू होगा।

इस अवसर पर निरंजनी अखाड़ के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत ओमकार गिरी, श्रीमहंत राधे गिरी, श्रीमहंत नरेश गिरी, श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत शिव वन, श्रीमहंत केशव पुरी, दिगंबर सुखदेव गिरी, दिगंबर बलवीर पुरी, दिगंबर राजगिरी, दिगंबर राधे श्याम पुरी, दिगंबर राकेश गिरी आदि संत मौजूद रहे।

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