ग्रीन टेम्पल के रूप में विकसित होंगे मनसा देवी व चण्डी देवी मंदिर

Haridwar News
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तनवीर

आईटीसी ने जिला प्रशासन के समक्ष रखी योजना

हरिद्वार, 19 नवंबर। सिडकुल स्थित आईटीसी कंपनी की ओर से सीएसआर योजना के तहत मां मनसा देवी व मां चण्डी देवी मंदिर परिसर को ग्रीन टेम्पल माॅडल के रूप में विकसित करने के लिए जिला प्रशासन के समक्ष प्रस्ताव रखा गया है। जिलाधिकारी सी.रविशंकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में आईटीसी के अधिकारियों ने वीडियो व एनीमेशन के माध्यम से योजना के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि मनसा देवी एवं चण्डी देवी मंदिरों में प्रतिदिन 15 से 20 हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं। जबकि नवरात्रों व अन्य विशेष पर्वो के दौरान करीब एक लाख श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

दोनों शक्तिपीठों का रास्ता काफी लम्बा है। रास्तों में ही ज्यादा कूड़ा होता है। दोनों मंदिरों के रास्ते से ही लगभग 390 किलो कूड़ा प्रतिदिन निकलता है। जिसका निस्तारण आंशिक रूप से ही हो पाता है। इसके अतिरिक्त मन्दिरों के आसपास पूजा सामग्री, खाद्य सामग्री आदि की कई दुकानें हैं, जो कई प्रकार का कूड़ा मन्दिर परिसर अथवा आसपास बिखेरते रहते हैं। जिससे आसपास का वातावरण दूषित होने के साथ ही जैव विविधता को भी खतरा है तथा कूड़े से आकर्षित होकर जंगली पशु आदि भी आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं।
ग्रीन टेम्पल माॅडल के संबंध में जानकारी देते हुए आईटीसी के अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए कमेटी गठित की जाएगी। मन्दिर से प्राप्त फूलों-जैसे गुलाब, गैंदा आदि को अलग-अलग करके धूपबत्ती, अगरबत्ती व हवन सामग्री बनायी जाएगी। जिसका प्लांट सबसे पहले लगाया जाएगा तथा इसकी मार्केटिंग का खास ध्यान रखा जायेगा। अवयव से खाद बनायी जाएगी जिसका इस्तेमाल खेती में किया जाएगा। बायोगैस का इस्तेमाल मन्दिर में प्रसाद आदि बनाने में किया जायेगा। मंदिरों से निकलने वाली प्रत्येक वस्तु के निस्तारण के लिये अलग-अलग योजना बनाई जायेगी। उन्होंने यह भी बताया कि 52 किलो कूड़ा प्रतिदिन ऐसा निकलता है, जिसे रिसाइकिल किया जा सकता है। प्लास्टिक-नायलाॅन कैरी बैग, कप आदि को प्रतिबन्धित करके रोका जा सकता है। मंदिर से संबंधित लोगों को ग्रीन टेम्पल अवधारणा के अनुसार प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित किया जायेगा, व्यापारियों को जागरूक किया जायेगा, ग्रीन टेम्पल की अवधारणा के अनुसार प्रचार-प्रसार किया जायेगा। रूचि रखने वाले एनजीओ को भी इसमें शामिल किया जायेगा। उन्होंने बताया कि आईटीसी तमिलनाडु में मदूरै सहित तीन मन्दिरों को ग्रीन टैम्पल के रूप में विकसित कर चुकी है। जहां व्यवस्थित ढंग से कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि यहां के मन्दिरों के अनुसार योजना को डिजायन किया जाएगा।

बैठक में दोनों मन्दिरों परिसरों को टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर करने के सम्बन्ध में भी चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने बैठक में उपस्थित वन एवं वन्य जीव विभाग के अधिकारियों से इस सम्बन्ध में पूछा तो उन्होंने बताया कि दोनों मन्दिरों के परिसर को टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर करने में कोई दिक्कत नहीं है। बैठक में दोनों मन्दिर परिसरों में वेंडिंग जोन विकसित करने, ग्रीन टेम्पल का लोगो तैयार करने, एकत्र होने वाले कूड़े के निस्तारण, मन्दिरों के रास्तों पर अलग-अलग रंगों के कूड़ेदान लगाने आदि के सम्बन्ध में भी चर्चा हुई। जिलाधिकारी द्वारा पूछे जाने पर कि आईटीसीे अधिकारियों ने बताया कि दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में ग्रीन टेम्पल का माॅडल प्रस्तुत कर दिया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि ग्रीन टेम्पल प्रोजेक्ट पर काफी कार्य हो चुका है। आपसी समन्वय से इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने में पूरी लगन एवं मेहनत से लग जाइये। आपको सभी का पूरा सहयोग प्राप्त होगा। बैठक में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) केकेमिश्रा, सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल, आईटीसी के अधिकारी, मनसा देवी एवं चण्डी देवी मन्दिर समितियों के पदाधिकारीगण व अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

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