नम आंखों से हथनी पवन कली को दी अंतिम विदाई
हरिद्वार, 03 मार्च। निर्मल अखाड़े के स्वामित्व में प्रत्येक अखाड़ों और अन्य सामाजिक संगठनों की शोभायात्रा में अपने को शोभायमान बनाते हुए आगे चलने वाली पवन कली हथनी का निधन होने पर आज पूरे विधि-विधान से श्रीमहंत ज्ञानदेव महाराज, श्रीमहंत जसविन्दर सिंह महाराज, श्रीमहंत अमनदीप सिंह महाराज के सानिध्य में 80 वर्षीय पवन कली हथनी का अन्तिम संस्कार कर श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल की छावनी में भू-समाधि दी गई।
इस मौके पर बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी भी शामिल हुए। भू-समाधि व अंतिम संस्कार के दौरान सभी ने पवन कली को श्रद्धाजंलि अर्पित की। इस दौरान श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि आदि अनादि काल व सनातन परम्पराओं के अनुरूप पवन कली को भू-समाधि दी गयी है। पुराने समय से संत समाज अपनी परम्पराओं को निभाता चला आ रहा है। पवन कली अखाड़े से निकालने वाली शोभायात्राओं में आकर्षण का केन्द्र रहती है। श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि ईष्ट के समान स्वरूप भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना विश्व भर में की जाती है
महाकुम्भ मेले में पवन कली कई वर्षों से शोभायात्राओं में मुख्य आकर्षण चली आ रही थी। उन्होंने बताया कि हाथियों की सवारी राजा-महाराजाओं के समय से चलती चली आ रही है। श्री गुरू ग्रंथ साहिब की सवारी भी हाथियों पर ही की जाती रही है। उन्हांेने कहा कि पवन कली का लम्बी बीमारी के बाद निधन हुआ। अखाड़े के संत महापुरूषों में पवन कली के निधन से शोक की लहर व्याप्त है। उन्होंने कहा कि पवन कली कई कुम्भ मेलों के पेशवाई में प्रमुखता से हिस्सा लेती थी। मंगलवार को संत महापुरूषों द्वारा भू-समाधि से पूर्व अखण्ड पाठ चलाये जा रहे थे। पवन कली के चले जाने से अखाड़ों में सुनसानी छाई हुई है।
कोठारी महंत जसविन्दर सिंह ने कहा कि यह बड़े दुख का विषय है कि पवन कली हमारे बीच अब नहीं है। पवन कली लम्बे समय से बीमारी चली आ रही थी। छावनी के संतों द्वारा लगातार पवन कली की सेवा की जा रही थी। पवन कली को भू-समाधि देने के समय संत महापुरूषों ने अपनी भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। उन्हांेने पवन कली को छावनी के परिवार सदस्य बताते हुए कहा कि पवन कली हरिद्वार की शोभा थी।
महंत अमनदीप सिंह ने बताया कि पिछले छह महीनों से पवन कली अस्वस्थ चली आ रही थी। काफी ईलाज कराने के पश्चात पवन कली को नहीं बचा सके। धार्मिक उत्सव व कुम्भ के शाही स्नान में निकलने वाली पेशवाई में सबसे आगे पवन कली चलती थी। उन्हांेने बताया कि पवन कली में छावनी में स्मारक भी बनाया जायेगा। पवन कली को भू-समाधि देने के दौरान बड़ी संख्या में संत महापुरूषों के अलावा स्थानीय नागरिक भी छावनी में मौजूद रहे। पवन कली के महावत ने पवन कली के निधन पर गहरा दुख जताया। पवन कली को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करने वालों में महंत सतनाम सिंह, महंत खेम सिंह, संत रामस्वरूप सिंह, संत तलविन्दर सिंह, संत जसकरण सिंह, स्वामी हरिहरानन्द, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास, महंत गुरूमीत सिंह आदि समेत सैकड़ों की संख्या में क्षेत्रवासी शामिल रहे।
निर्मल गणपति संघ तथा निर्मला सराय के क्षेत्रवासियों ने पवन कली हथनी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त कर भावभीनी श्रद्धाजंलि दी। इस मौके पर निर्मल गणपति संघ के संरक्षक सुभाष चन्द, अध्यक्ष राजू मनोचा, जोनी अरोड़ा, अनिल अरोड़ा, नीरज जैन, अरविन्द अग्रवाल, कुच्छल, रमेशचन्द जोशी, दीपक दुआ, रवि जैसल, सुनील मनोचा, सोहन सिंह, मोहन सिंह, सुरेन्द्र तनेजा, संजय तनेजा, मनीष शर्मा, मोनू गर्ग, अविनाश यादव, मयंक मयूर गौतम, पवन, डिंपल शर्मा, अमन यादव, अंकुश, प्रिंस, साहिल, संजू, वंश, आर्यन, नितेश, चीकू, रचित, सोमवती, शशि शर्मा, विमला देवी, पूजा, सरोज राणा, शशि, राजबाला, पूजा मनोचा, काजल मनोचा, ममता मनोचा, अंजू शर्मा आदि ने भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।